ABC NEWS: पाकिस्तान के सिंध प्रांत में रह रहे 3.5 लाख हिन्दू परिवारों ने पासपोर्ट आवेदन किया है. श्रीशचन्द के अनुसार वहां के सिन्धी समाज और रिश्तेदारों ने उनको सूचना दी है. 25 परिवार ऐसे हैं जो लखनऊ आना चाहते हैं. वहां हालात इतने बिगड़ते जा रहे हैं कि अब एक मिनट भी रुकना उनको गंवारा नहीं. पासपोर्ट तैयार है लेकिन वीजा मिलने में दिक्कत आ रही है. लखनऊ स्थित अपने रिश्तेदारों से रोजाना वाट्सअप कॉल पर आपबीती बता रहे हैं.
उनके लखनऊ में रहने वाले रिश्तेदारों ने बताया कि पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता की वजह से हालात बिगड़े हैं. ऊपर से अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बढ़ गए हैं. आए दिन किसी न किसी परिवार के सदस्य को किडनैप कर लिया जा रहा है. आलमबाग में रहने वाले सिंधी समाज के श्रीषचन्द्र के अपने ही रिश्तेदार पाकिस्तान में फंसे हुए हैं.
उन्होंने बताया कि पाकिस्तान सिंध प्रांत में रहने वाले सिंधी समाज के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति का कुछ समय पहले अपहरण हो गया. उनको छोड़ने के लिए पांच करोड़ रुपये की फिरौती मांगी जा रही है. दो तीन दिन पहले एक युवक का अपहरण हुआ जिसकी वीडियो फेसबुक पर वायरल हो रही है. ऐसे में यहां रहने वाले सिंधी परिवारों के जो रिश्तेदार पाकिस्तान में हैं उनकी फिक्र सता रही है। विभाजन के समय लखनऊ में पाकिस्तान से जान बचाकर 5000 सिंधी परिवार आए थे. उसके बाद जब दोनों देशों के बीच स्थितियां सामान्य हुईं तो लॉन्ग टर्म वीजा पर भारत आने वाले सिंधी परिवारों की संख्या बढ़ी. 2018 के बाद से नागरिकता तेजी से मिलने लगी. पिछले छह वर्षों के दौरान 400 से अधिक लोगों को नागरिकता मिल चुकी है.
वतन की मिट्टी छूने की आस न हो सकी पूरी
लखनऊ में आने वाले अधिसंख्य सिंधी परिवार हैं जो मौजूदा पाकिस्तान के सिंध प्रांत से लौटे हैं. श्रीषचंद्र का परिवार भी उनमें से एक था। उनके ताऊ घनश्याम दास, फूफा लड्डूमल समेत अन्य रिश्तेदार भारत आना चाह रहे हैं. बुआ शांति देवी वतन की मिट्अी छूने की आस लिए दुनिया छोड़ गईं.
अल्पसंख्यकों को वीजा मिलना मुश्किल
सिंधी परिवारों ने बताया कि वहां अल्पसंख्यकों को वीजा मिलना मुश्किल है. वहां वीजा आवेदन करने के लिए सीधे विदेश विभाग के दफ्तर नहीं जा सकते हैं. इसके लिए उनको सरकारी कुरियर कंपनी से पोस्ट भेजनी होगी. इसमें महीनों लग जा रहे हैं. साथ ही वीजा मिलने में भी महीनों का समय लग रहा है.