क्या राजस्थान में वसुंधरा राजे का विकल्प होंगी ये महारानी ? PM मोदी के दौरे के बाद चर्चा तेज

News

ABC NEWS: 25 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजस्थान दौरे पर थे. इस दौरान जयपुर में उनके साथ राज्य की दो कद्दावर महिला नेताओं ने मंच साझा किया. मंच पर राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ ही राजसमंद की सांसद दीया कुमारी भी मौजूद थीं. पीएम मोदी के संबोधन के बाद ऐसा माना जा रहा था कि राज्य की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को भी संबोधन का अवसर मिलेगा, लेकिन नहीं मिला. हालांकि, राजसमंद की महिला सांसद दीया कुमारी ने उस मंच से जनता को संबोधित किया. 25 सितंबर की इस घटना के बाद राजस्थान के सियासी गलियारों में ऐसी चर्चा चलने लगी कि क्या भारतीय जनता पार्टी पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को साइडलाइन कर महारानी दीया कुमारी के रूप में उनका विकल्प तैयार कर रही है?

कौन हैं दीया कुमारी
महारानी दीया कुमारी राजस्थान की राजसमंद लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी की सांसद हैं. उनका जन्म 30 जनवरी, 1971 को जयपुर के पूर्व महाराजा और होटल कारोबारी भवानी सिंह और पद्मिनी देवी के घर में हुआ था. देश के नामी स्कूलों और कॉलेज से पढ़ने के बाद दीया कुमारी लंदन चली गईं और वहां से डेकोरेटिव आर्ट्स का कोर्स भी कंप्लीट किया है. वर्तमान में बीजेपी महिला महिला मोर्चा की प्रदेश प्रभारी की कमान भी संभाल रही हैं. साल 2013 में राजनीतिक सफर की शुरुआत करने वाली दीया कुमारी ने भाजपा जॉइन करने के बाद सवाई माधोपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और विधायक बनीं. साल 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने राजसमंद से टिकट दिया और दीया कुमारी ने यहां भी जीत दर्ज की और देश की सबसे बड़ी पंचायत में जा पहुंचीं. राज्य की राजनीति में काफी सक्रिय रहने वाली भाजपा सांसद दीया कुमारी को अब वसुंधरा राजे के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है.

महारानी बनाम महारानी की अदावत

अगर बीजेपी महारानी दीया कुमारी को सीएम कैंडिडेट बनाती है तो यह एक महारानी की जगह दूसरी महारानी जैसा ही होगा. गौरतलब है कि राजे को सूबे में आज भी बहुत से लोग महारानी कहकर बुलाते हैं. ऐसे में दीया कुमारी भी महारानी हैं. दोनों की सियासी अदावत किसी से छिपी नहीं है. हालांकि दीया कुमारी को वसुंधरा राजे ने ही राजनीति में एंट्री कराईं थीं. तब दीया कुमारी जयपुर राजघराने की राजकुमारी थीं.

राजपूत वोटरों को साधने की कोशिश

राजस्थान में राजपूत मतदाता करीब 14 % हैं. जिनका 60 विधानसभा सीटों पर खासा असर है. यूं तो बीजेपी में भी केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत जैसे कई राजपूत नेता हैं पर सांसद दीया कुमारी की बात कुछ अलग हैं. महारानी गायत्री देवी की विरासत भी उनके पास है. राजपूतों को बीजेपी का परंपरागत वोटर माना जाता है. इसलिए बीजेपी निश्चिंत हो सकती है कि अगर वसुंधरा नाराज भी होती हैं तो भी पार्टी को कोई नुकसान नहीं होगा. बीजेपी उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देकर राजपूतों में सकारात्मक बदलाव का संदेश दे सकती है.

क्या कहते हैं आंकड़े?

2003 से लेकर 2013 तक राजस्थान विधानसभा चुनावों के आंकड़े बतातें है कि जिस पार्टी को मेवाड़ में सबसे ज्यादा सीटें मिलीं हैं. हालांकि 2018 के चुनावी नतीजे कुछ अलग रहे थे,जब बीजेपी ने 15 और कांग्रेस ने 10 सीटें जीतीं लेकिन सरकार कांग्रेस की बन गई.

राजस्थान की राजनीति में वसुंधरा राजे सिंधिया के बगावती तेवरों से पार्टी में उनकी स्थित खराब होती रही है. ऐसे में बीजेपी जरूरत पड़ने पर दीया कुमारी को आगे कर सकती है.

 

खबरों से जुड़े लेटेस्ट अपडेट लगातार हासिल करने के लिए आप हमें  Facebook, Twitter, Instagram पर भी ज्वॉइन कर सकते हैं … Facebook-ABC News 24 x 7 , Twitter- Abcnews.media Instagramwww.abcnews.media

You can watch us on :  SITI-85,  DEN-157,  DIGIWAY-157


For more news you can login- www.abcnews.media