ABC NEWS: दिसंबर 2022 में खरमास का प्रारंभ 16 दिसंबर दिन शुक्रवार से होने जा रहा है. यह खरमास करीब एक माह तक रहेगा. 15 जनवरी 2023 को मकर संक्रांति के दिन खरमास का समापन होगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य देव जब धनु राशि में प्रवेश करते हैं तो धनु संक्रांति होती है. धनु संक्रांति से लेकर एक माह तक सूर्य की गति धीमी हो जाती है और मांगलिक कार्यों के लिए उत्तरदायी बृहस्पति ग्रह का प्रभाव भी कम हो जाता है. इस वजह से खरमास में मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं. सूर्य जब धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो फिर से इनकी गति पहले जैसी हो जाती है. खरमास खत्म हो जाता है.
श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी से जानते हैं कि खरमास से जुड़ी कथा क्या है? वे कहते हैं कि खरमास दो शब्दों से मिलकर बना है. खर और मास. खर का अर्थ गधा और मास का अर्थ महीना. खरमास का गधों से क्या संबंध है, यह जानने के लिए पढ़ें कथा-
खरमास कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, धनु संक्रांति से पूर्व तक सूर्य देव अपने सात घोड़ों वाले रथ पर सवार हो कर तीव्र गति से चलते हैं. इसकी वजह से पृथ्वी पर सभी जीवों को ऊर्जा मिलती है और उनका भरण पोषण सही से होता है. पेड़ पौधे भी उनकी ऊर्जा से जीवंत रहते हैं. धनु संक्रांति के समय में सूर्य देव जब परिक्रमा कर रहे होते हैं तो उनके रथ के घोड़े काफी थक जाते हैं. उनको पानी पिलाने के लिए रथ को एक तालाब पर रोक दिया जाता है. सभी घोड़े पानी पीने लगते हैं.
लेकिन सूर्य देव का रथ सदैव गतिमान रहता है. उनके रुक जाने से कई प्रकार के संकट पैदा हो सकते हैं. काल गणना से लेकर सृष्टि का संचालन प्रभावित हो सकता है. इस वजह से उस तालाब के किनारे दो खर यानि गधे खड़े होते हैं, उनको रथ में जोड़ दिया जाता है और वे रथ को खींचने लगते हैं. उधर रथ के घोड़े पानी पीकर आराम करने लगते हैं. अब गधे घोड़ों की रफ्तार से रथ को खींचने में असमर्थ होते हैं. इस वजह से वे अपनी धीमी गति से ही चलते हैं, जिस कारण सूर्य देव की गति धीमी हो जाती है.
अब सूर्य देव को धीमी गति के साथ ही परिक्रमा करना होता है. धनु संक्रांति से मकर संक्रांति तक यही स्थिति होती है. मकर संक्रांति से खरमास समाप्त हो जाता है. सूर्य देव के रथ को फिर से घोड़े खींचने लगते हैं. इस वजह से मकर संक्रांति से सूर्य देव की गति बढ़ जाती है.