ABC News: चुनाव आयोग ने शनिवार को शिवसेना पार्टी के नाम और चिन्ह धनुष-बाण पर एकनाथ शिंदे के दावे को मंजूरी दे दी थी. अब उद्धव ठाकरे चुनाव आयोग के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. शिंदे गुट भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट यानी विरोध पत्र दाखिल करेगा. यानी चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती दी जाएगी तो शिंदे गुट को सुने बिना कोर्ट फैसला नहीं देगी.
#WATCH | The party, the leader & the dishonest group that bids Rs 50 cr for MLAs, Rs 100 cr for MPs & Rs 50 lahks to 1 cr to buy our councillors. How much it would bid to take our name & symbol, you decide? My info is Rs 2,000 Crores: Sanjay Raut, Uddhav Thackeray faction leader pic.twitter.com/QZBPnwtn7A
— ANI (@ANI) February 19, 2023
इन सबके बीच ठाकरे गुट के नेता संजय राउत ने कहा है कि शिवसेना से उसका नाम और निशान छीनने के लिए 2000 करोड़ का लेन-देन हुआ है. संजय राउत ने चुनाव आयोग के फैसले को सौदेबाजी बताया. कहा, “अमित शाह क्या बोलते हैं, उस पर महाराष्ट्र के लोग ध्यान नहीं देते. जो सत्य को खरीदने का काम करते हैं वो झूठ और सच की क्या बात कर रहे हैं. इसका निर्णय जनता समय आने पर करेगी. शिवसेना किसकी थी और किसकी होगी ये फैसला महाराष्ट्र के लोग लेंगे.”
I have informed the nation with my tweet. The way our symbol & Shiv Sena’s name has been taken is not just, it’s a business deal for which Rs 2000 cr worth of transactions are done within 6 months. And this is my initial estimate: Uddhav Thackeray faction leader Sanjay Raut pic.twitter.com/XUjT1yHXpW
— ANI (@ANI) February 19, 2023
संजय ने कहा- शिवसेना और उसका निशान तीर-कमान छीना गया है और ऐसा करने के लिए तक 2 हजार करोड़ रुपए का लेनदेन हुआ है. मैं इस दावे पर कायम हूं. बेईमान लोगों का गुट, विधायक खरीदने के लिए 50 करोड़, सांसद खरीदने के लिए 100 करोड़, पार्षद खरीदने के लिए 1 करोड़ और शाखा प्रमुख खरीदने के लिए 50 लाख खर्च कर सकता है. आप अंदाजा लगाइए वो पार्टी का नाम और निशाना पाने के लिए कितने की बोली लगा सकता है. कश्मीरी पंडित आज भी न्याय के लिए सड़कों पर बैठे हैं. उन्होंने कहा, “आज भी कश्मीरी पंडित कश्मीर से जम्मू में आकर क्यों रुके हैं. कश्मीरी पंडितों की हत्या क्यों हुई, क्या उन्हें संरक्षण मिला? सरकार इसका जवाब दे. आज भी कश्मीरी पंडित घर वापसी के लिए तैयार नहीं हैं. यह किसकी विफलता है. आज भी जम्मू की सड़क पर सैकड़ों कश्मीरी पंडित न्याय के लिए बैठे हुए हैं. अगर यह बात अमित शाह को मालूम नही है तो वो गृहमंत्री के पद पर ना रहें.”