ABC News: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के विशेषज्ञों ने एक ऐसा कैमरा तैयार किया है, जो घने जंगलों में भी सटीक निगरानी कर सकेगा. यह कैमरा घने जंगलों में चल रहे आतंकी ठिकानों की निगरानी में काफी काम आएंगे. खास बात ये है कि यह पेड़ पर पक्षी, चमगादड़ या फल की तरह लटककर गतिविधियों को कैद करेगा और वास्तविक समय में फोटो, वीडियो और आवाज पहुंचा सकेगा. विशेषज्ञों ने कैमरे का नाम बायोमिमिक्री स्काउट कैमरा रखा है और इन दिनों इसका ट्रायल चल रहा है.
संस्थान के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर देबोपम दास ने बताया कि शोधार्थी धर्मवीर ने विशेष कैमरा तैयार किया है. कैमरे में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक पर आधारित सेंसर, सर्वो मोटर, उच्च तनाव का धागा, मैकेनिकल हुक, वीडियो ट्रांसमीटर, बैटरी, रेडियो रिसीवर आदि सामग्री भी लगाई गई है. कैमरे को किसी ड्रोन या प्रक्षेपक की मदद से जंगल में स्थापित किया जाएगा और स्मार्टफोन की मदद से भी उसे आपरेट किया जा सकता है. पेड़ की टहनी पर पक्षी या फल की तरह लटककर यह सारी गतिविधियों को कैद करता रहेगा. प्रो. दास ने बताया कि वर्तमान समय में आतंकी ठिकानों तक पहुंचने के लिए खुफिया एजेंसियां ड्रोन या स्नेक रोबोट कैमरे का इस्तेमाल करती हैं, लेकिन जंगल में इसके बेहतर तरह से कार्य करने की संभावना कम होती है.
आवाज करने के कारण ड्रोन आसानी से पकड़ में आ जाते हैं और स्नेक रोबोट अक्सर झाड़ियों के बीच फंसकर लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाते हैं. संस्थान की ओर से बनाया गया स्काउट कैमरा प्रक्षेप किए जाने के बाद खुद पेड़ व डाल पर अपनी लोकेशन भी बदल सकता है. विशेषज्ञों के मुताबिक कैमरे के कवच को कठोर प्लास्टिक फाइबर से बनाया गया है. ड्रोन की मदद से डाल पर पहुंचाने या किसी प्रक्षेपक की मदद से लंबी दूरी तक फेंकने के दौरान किसी कठोर वस्तु या पेड़ की टहनी व तने से टकराने के बावजूद इसे कोई नुकसान नहीं होगा. कैमरे में आवाज नहीं है और बैटरी भी कई घंटे तक चलती है. धागे की मदद से कैमरा आगे, पीछे, ऊपर, नीचे, दायें या बायें अपना स्थान परिवर्तित कर सकेगा. इसमें लगा रेडियो रिसीवर कैमरे की ऊंचाई समायोजित करने से पहले सर्वो मोटर चलाने के लिए रेडियो ट्रांसमीटर से सिग्नल प्राप्त करता है. वीडियो ट्रांसमीटर कैमरे से छवि व वीडियो सिग्नल ग्रहण करके उसे रिसीवर तक पहुंचाता है.