कुशाग्र मर्डर के तीनों आरोपियों तक पहुंचने में दुपहिया वाहन का नंबर बना पुलिस का ठोस सुराग

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ABC NEWS: कानपुर में कपड़ा व्यापारी के बेटे कुशाग्र की हत्या में शामिल मुख्य आरोपी प्रभात ने फुलप्रूफ प्लानिंग के तहत इस वारदात को अंजाम दिया था. लेकिन उसकी चालाकी ज्यादा देर तक नहीं चल सकी. क्योंकि वो कुशाग्र की बिल्डिंग के गार्ड की नजर में आ गया था. गार्ड की वजह से पूरे मामले का खुलासा हो गया. इस हत्याकांड में प्रभात, उसकी गर्लफ्रेंड रचिता और एक साथी आर्यन को गिरफ्तार कर लिया गया है.

पुलिस के मुताबिक, पूछताछ में पता चला है कि प्रभात को शक था कि कुशाग्र का उसकी गर्लफ्रेंड रचिता से संबंध है. रचिता कुशाग्र की ट्यूशन टीचर थी. इसी शक में प्रभात ने कुशाग्र को बहाने से घर बुलाकर मौत के घाट उतार दिया. इतना ही नहीं पुलिस की जांच को भटकाने के लिए उसने फिरौती वाला लेटर भी कुशाग्र के घर में फेंका था. साथ ही उसमें धर्म विशेष के नारे लिखे थे. मगर प्रभात की सारी चालबाजियां धरी की धरी रह गईं.

ट्यूशन टीचर रचिता वत्स, बॉयफ्रेंड प्रभात शुक्ला व शिवा गुप्ता.

गार्ड की समझदारी से हुआ हत्याकांड का खुलासा 
दरअसल, कुशाग्र जिस बिल्डिंग में रहता है उसका गार्ड राजेंद्र सोमवार की रात में ड्यूटी पर था. इसी बीच कुशाग्र की हत्या करने के बाद प्रभात और उसका साथी आर्यन उसके घर के बाहर दो पहिया गाड़ी से पहुंचते हैं. दोनों 30 लाख की फिरौती वाला लेटर फेंकने पहुंचे थे. मगर तभी उनकी नजर गार्ड राजेंद्र पर पड़ी. इस पर दोनों ने गार्ड से लेटर को कुशाग्र के घर पहुंचाने को कहा.

जब गार्ड ने समय देखा और दोनों के चेहरों पर मास्क देखा तो उसे शक हो गया. उसने लेटर तो ले लिया लेकिन जाते-जाते प्रभात की गाड़ी का नंबर भी नोट कर लिया. आगे चलकर पुलिस के लिए यही नंबर बड़े सुराग का काम कर गया.

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पुलिस ने जब कुशाग्र के अपहरण की एफआईआर लिखकर जांच शुरू की तो गार्ड राजेंद्र ने गाड़ी का नंबर उनको बताया. साथ ही लेटर वाली बात और दोनों का हुलिया भी बताया. जांच में पता चला कि उक्त दो पहिया गाड़ी प्रभात शुक्ला के नाम रजिस्टर्ड है.  इसके बाद पुलिस ने तुरंत एक्शन लिया और प्रभात को हिरासत में ले लिया. प्रभात से पूछताछ के बाद रचिता और आर्यन भी पकड़ में आ गए.

गार्ड ने कही ये बात  
गार्ड राजेंद्र का कहना है कि जब दो लड़के लेटर देने आए थे तो उनको देखकर मुझे शक हो गया था. इसलिए मैंने उनकी गाड़ी का नंबर नोट कर लिया था. फिर बाद में पुलिस को बता दिया. जिसके आधार पर पुलिस आरोपी तक जल्द पहुंच गई.

मामले में डीसीपी प्रमोद कुमार ने बताया कि अपहरण का केस दर्ज होने के बाद जांच शुरू की तो गार्ड द्वारा दी गई जानकारी सबसे महत्वपूर्ण साबित हुई. उसकी सूचना के आधार पर ही हमने गाड़ी का नंबर ट्रैक किया. इसके बाद प्रभात का पता चला और फिर पूरे मामले का खुलासा होता चला गया.

पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की
डीसीपी ने आगे बताया कि हत्या के बाद पुलिस को गुमराह करने के लिए प्रभात ने फिरौती वाला खेल खेला था. साथ ही फिरौती लेटर में धार्मिक नारे को भी लिखा था. उसे लगा था कि पुलिस की जांच किसी और दिशा में घूम जाएगी और वो लाश को ठिकाने लगा देगा. लेकिन गार्ड की नजरों में आने के बाद उसकी प्लानिंग फेल हो गई.

पुलिस ने बताया कि प्रभात को पकड़ने के बाद हम महिला टीचर के घर तक पहुंच गए. वहां बगल वाले कमरे में हमें कुशाग्र की बॉडी मिल गई. उसकी गला घोंटकर हत्या की गई थी. घर के बाहर लगे  सीसीटीवी कैमरे में प्रभात के पीछे-पीछे कुशाग्र जाते हुए दिखाई दे रहा है. लेकिन कई घंटे बाद सब बाहर या जाते हैं लेकिन कुशाग्र बाहर नहीं आता. उसकी कल शाम को ही हत्या कर दी गई थी.

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