ABC NEWS: हिंदू कैलेंडर के अनुसार, कृष्ण पक्ष की 15वीं तिथि को अमावस्या कहते हैं. इस दिन चंद्रमा नहीं दिखाई पड़ता है. पितृ पक्ष और अमावस्या, दोनों ही तिथि पितरों के लिए समर्पित होती हैं. मान्यताओं के अनुसार, पौष माह को छोटे श्राद्ध का महीना कहा जाता है इसलिए पौष मास की अमावस्या का महत्व और भी बढ़ जाता है.
पौष अमावस्या 2024 की तिथि
हर साल की पहली अमावस्या को पौष अमावस्या के नाम से जाना जाता है. पौष अमावस्या 11 जनवरी 2024 गुरुवार को पड़ रही है. हिंदू पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि 10 जनवरी 2024 बुधवार रात 8:10 पर शुरू होकर 11 जनवरी गुरुवार को शाम 5:26 पर समाप्त होगी. स्नान व दान-दक्षिणा का मुहूर्त सुबह 5:57 से लेकर सुबह 6:21 तक रहेगा. पितरों के तर्पण के लिए अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:8 से दोपहर 12:50 तक रहेगा.
पौष अमावस्या का महत्व
पौष माह में पड़ने की वजह से यह अमावस्या विशेष लाभदायी और शुभ मानी जाती है. इस दिन व्रत या उपवास रखने से और पूजा-अर्चना करने से कई गुना अधिक फलों का प्राप्ति होती है. इस दिन भगवान विष्णु का पूजा पाठ करके भजन-कीर्तन करने की परंपरा है. अमावस्या के दिन निर्धनों व जरूतमंदों को दान-दक्षिणा देने से पापों से मुक्ति मिलती है. इस दिन स्नान-दान करने से पितरों पर आए संकट दूर हो जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है.
क्यों खास है अमावस्या तिथि?
मान्यता है कि अमावस्या तिथि पर पूर्वज धरती पर आकर अपने परिजनों से तर्पण की कामना करते हैं. इस दिन पितृदोष और कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए खास उपाय भी किए जाते हैं. अमावस्या तिथि पर ध्यान, तर्पण और दान करने से पितर प्रसन्न होते हैं.
इस माह की अमावस्या में पितरों के लिए किए गए कार्य व्यक्ति को सुख और समृद्ध जीवन देते हैं और कुंडली के दोषों से मुक्ति दिलाते हैं. शास्त्रों में पौष का महीना सूर्य और पितरों की पूजा के लिए बहुत खास माना गया है. इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा करने और गीता का पाठ करने की भी मान्यता है.
पौष अमावस्या विधि
इस दिन शिवलिंग का अभिषेक करना बेहद श्रेष्ठ माना जाता है. सुबह के समय स्नान के बाद सूर्य देव को तांबे के पात्र में शुद्ध जल, लाल चंदन और लाल रंग के पुष्प डालकर अर्घ्य दें. पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और उपवास करें. जरूतमंदों को दान-दक्षिणा दें और शाम के समय पीपल के वृक्ष में दीपक जरूर जलाकर रखें. इस दिन तुलसी के पौधे की परिक्रमा करनी चाहिए.
पौष अमावस्या पर क्यों किया जाता है स्नान-दान?
अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है. इस दिन स्नान करने से कष्ट और संकटों से मुक्ति मिलती है और साथ ही पुण्य की प्राप्ति होती है. अमावस्या के दिन पितरों को जल अवश्य अर्पित करना चाहिए. ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद हमारे जीवन पर बना रहता है और पितृ प्रसन्न होते हैं. इस दिन पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और पितरों द्वारा किए गए पापों का नाश होता है.