रेप के आरोपी GSVM के डॉक्टर प्रेम सिंह के मामले की फिर से होगी विवेचना, कोर्ट ने निरस्त की FR

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ABC NEWS: (भूपेंद्र तिवारी ) कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग में प्रोफेसर रहे डॉ. प्रेम सिंह के मरीज के साथ दुष्कर्म करने के मामले में स्वरूप नगर पुलिस की फाइनल रिपोर्ट को मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट सूरज मिश्र की कोर्ट ने निरस्त कर दिया है. अब मामले में दोबारा विवेचना होगी. पीड़िता के फाइनल रिपोर्ट को लेकर किए गए विरोध को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है.

कोर्ट ने स्वरूप नगर प्रभारी निरीक्षक को किसी सक्षम पुलिस अधिकारी से विवेचना कराकर अंतिम रिपोर्ट जल्द पेश करने का आदेश दिया है. साथ ही विवेचना में लापरवाही बरतने वाले विवेचक के खिलाफ कार्रवाई करके कोर्ट को बताए जाने को कहा. कोर्ट ने आदेश की एक कॉपी पुलिस कमिश्नर को भेजने का आदेश भी दिया. डॉ. प्रेम सिंह का तबादला लखनऊ स्थित केजीएमयू में हो चुका है. उनके खिलाफ स्वरूप नगर थाने में एक महिला मरीज ने दुष्कर्म व जान से मारने की धमकी देने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. पीड़िता ने आरोप लगाया था कि स्तन में गांठ की शिकायत पर वह 2018 में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में डॉ. प्रेम सिंह के पास गई थी.

इलाज के दौरान डॉक्टर ने नाजायज फायदा उठाकर दुष्कर्म किया. फिर गंदे वीडियो भी बनाए. विरोध करने पर जान से मारने और वीडियो वायरल करने की धमकी भी दी. 2021 में डॉ. प्रेम सिंह गैरजनपद जाने के बावजूद शहर आकर दुष्कर्म करते थे. डॉ. प्रेम सिंह से परेशान होकर पीड़िता ने स्वरूप नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. स्वरूप नगर पुलिस ने विवेचना करते हुए कोर्ट में फाइनल रिपोर्ट पेश की. जिसका पीड़िता ने कोर्ट के समक्ष विरोध किया था.

उसका पक्ष सुना ही नहीं गया

कोर्ट के समक्ष पीड़िता ने मनमाने ढंग से डॉक्टर प्रेम सिंह के पक्ष में की गई विवेचना की बात उठाई. पीड़िता ने कहा कि अभियुक्त के पक्ष में दिए गए शपथ पत्रों को विवेचना का आधार बनाकर फाइनल रिपोर्ट लगाई गई. उसका पक्ष नहीं सुना गया. इस पर कोर्ट ने पेश की गई अंतिम रिपोर्ट को निरस्त करने का आदेश दिया.

अभियुक्त को लाभ पहुंचाने के लिए विवेचना की गई

कोर्ट ने आदेश में विवेचक के खिलाफ तल्ख टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि बलात्कार जैसे गंभीर मामलों की विवेचना में हाईकोर्ट के सिद्धांतों का कोई अनुपालन नहीं किया गया. सिर्फ अभियुक्त को लाभ पहुंचाने के लिए विवेचना की गई. पीड़िता के 164 के बयान में घटना का समर्थन करने के बावजूद कुछ तथ्यविहीन शपथ पत्रों पर निर्भर होकर विवेचक ने अंतिम रिपोर्ट पेश की.

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