कानपुर में टेरर फंडिंग और हवाला कारोबार का भंडाफोड़: ATS ने पकडे 3 अवैध टेलीफोन-एक्सचेंज, 2 शातिर अरेस्ट

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ABC NEWS: ( भूपेंद्र तिवारी ) कानपुर की एटीएस यूनिट और पुलिस ने तीन अवैध टेलीफोन एक्सचेंज का प्रदेश का सबसे बड़ा खुलासा किया है. जाजमऊ, चुन्नीगंज और जरीबचौकी पर यह तीनों टेलीफोन एक्सचेंज से 13 इंटरनेशनल कॉल करने वाली मशीनें चलाई जा रही थीं. इन टेलीफोन एक्सचेंज से विदेश में कॉल कराई जाती थी.

सबसे ज्यादा कॉल खाड़ी देशों में हुई है. एटीएस ने बताया कि इसका इस्तेमाल सबसे ज्यादा आतंकी गतिविधियों, हवाला कारोबार या फिर बेहद कम पैसे में विदेश बातचीत के लिए किया जाता है. सबसे खास बात यह है कि इस कॉल को कोई ट्रेस नहीं कर सकता है. यूपी एटीएस ने दावा किया है कि अवैध टेलीफोन एक्सचेंज पर अब तक की यह सबसे बड़ी कार्रवाई है.

10वीं पास और टेलर चला रहा था अवैध टेलीफोन एक्सचेंज

यूपी एटीस को काफी समय से कानपुर में इंटरनेशनल गेटवे को बाईपास कर विदेशों (मिडिल इस्ट देशों) से आने वाली अन्तर्राष्ट्रीय कॉल्स को अवैध टेलीफोन एक्सचेन्ज के माध्यम से लोकल कॉल्स में परिवर्तित करने की सूचना मिल रही थी.

इसी इनपुट पर एटीएस कानपुर और लखनऊ यूनिट के साथ ही एडीसीपी मृगांक शेखर पाठक की टीम ने ताबड़तोड़ छापेमारी करके जाजमऊ, चुन्नीगंज और जरीबचौकी से संचालित होने वाले अवैध टेलीफोन एक्सचेंज का खुलासा कर दिया.

इस दौरान इसे चलाने वाले दो मास्टरमाइंड बेगमगंज नजीराबाद निवासी मिर्जा असद और सिविल लाइंस लाल इमली रोड निवासी शाहिद जमाल को अरेस्ट कर लिया. जांच के दौरान पुलिस ने तीनों अवैध टेलीफोन एक्सचेंज से 13 चल रहे सिमबॉक्स और 4 सीलपैक सिम बॉक्स और 4 हजार प्री-एक्टिवेटेड समेत अन्य माल बरामद किया है.

दोनों के खिलाफ एटीएस थाना लखनऊ में धोखाड़ी, कूटरचित दस्तावेजों का इस्तेमाल, भारतीय तार अधिनियम, आईटी एक्ट समेत अन्य गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज करके शनिवार को दोनों आरोपियों को जेल भेज दिया गया.

ट्रेस नहीं हो पाती इंटरनेशनल कॉल

इंटरनेशनल गेटवे को बाईपास करने के कारण कॉलर की पहचान करना सम्भव नहीं होता, इस वजह से इस तरह के टेलीफोन एक्सचेंज से अक्सर रेडिक्लाइजेशन, हवाला, टेरर फंडिग सम्बन्धी बातों की सम्भावनाएं बनी रहती है और साथ ही राजस्व की क्षति भी होती है.

गिरफ्तार आरोपी शाहिद जमाल (10वीं पास), जो वर्ष 2017 में मुम्बई में अवैध टेलीफोन एक्सचेंज के में जेल जा चुका है एवं मिर्जा असद ( 12वीं पास), जो टेलरिंग का कार्य करता है. तकनीकी योग्यता न होने के उपरान्त भी ये लोग तकनीकी रूप से अवैध टेलीफोन एक्सचेंज चलाने में सक्षम हैं.

इंटरनेशनल गेटवे पास कराकर कराते थे इंटरनेशनल कॉल

पूछताछ के दौरान गिरफ्तार हुए मिर्जा असद और शाहिद जमाल ने बताया कि मुंबई में बैठे हमारे गैंग के सरगना नाजिम खां द्वारा अवैध टेलीफोन एक्सचेंज को टीम व्यूअर के माध्यम से कॉनफिगर कर सहयोग प्रदान किया जाता था.

इंटरनेट के माध्यम से अन्तर्राष्ट्रीय कॉल्स को इंटरनेशनल गेटवे बाईपास कराकर सिमबाक्स पर लैंड कराया जाता था, जिससे VOIP (इंटरनेट) कॉल नॉर्मल वायस कॉल्स में परिवर्तित हो जाती है और कॉल प्राप्त करने वाले को कॉल करने वाले व्यक्ति के नम्बर के स्थान पर सिमबॉक्स में लगे सिमकार्ड का नम्बर प्रदर्शित होता है, इससे कॉलर की पहचान स्थापित नहीं हो पाती है. इसलिए इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल स्लीपर सेल, हवाला और आतंकी गतिविधियों में किया जाता है.

4 हजार प्री-एक्टिवेटेड सिम बरामद

आपको जानकर हैरत होगी कि पकड़े गए दोनों शातिरों के पास से 4 हजार प्री-एक्टिवेटेड सिम बरामद हुए हैं. इसके साथ ही टेलीफोन एक्सचेंज के 13 क्रियाशील सिमबाक्स, 4 सीलबंद सिम बॉक्स, मॉडम/राऊटर, मोबाइल समेत अन्य माल बरामद किया है.

सरगना फरार, हर महीने 20 लाख से ज्यादा कमाई

एटीएस के अफसरों की मानें तो अवैध टेलीफोन एक्सचेंज मुंबई में बैठा मास्टर माइंड चला रहा था. उसने ठेके पर लोगों को पूरा सेटअप उपलब्ध करा रखा था. करीब एक व्यक्ति को 80 हजार से 1 लाख रुपए महीने देता था। जबकि मुंबई में बैठा मास्टर माइंड अवैध टेलीफोन एक्सचेंज से प्रति माह करीब 20 से 25 लाख रुपए कमा रहा था। सरगना की तलाश में टीमों को लगाया गया है.

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