बजट में ‘2024’ के चुनाव की आहट लेकिन अर्थव्यवस्था में सुधार के साथ राहत भी

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ABC NEWS: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपना आखिरी आम बजट पेश कर दिया है. बजट में कई बड़े ऐलान किए गए हैं, न्यू टैक्स स्लैब ने भी खूब सुर्खियां बटोरी हैं. अब जमीन पर इस बजट को एक्सपर्ट के चश्मे से समझने की जरूरत है. एक्सपर्ट की नजरों में मोदी सरकार का ये लोकसभा चुनाव से पहले पेश हुआ बजट पास है या फेल? उनकी तरफ से इस बजट की एबीसीडी भी समझाई गई है और 10 में से रेटिंग हुई है.

किसे आराम…किसे झटका?

अब सबसे पहले टैक्स छूट वाले ऐलान पर एक्सपर्ट की राय जानी गई. बीजेपी और कांग्रेस ने तो उम्मीद मुताबिक 10 और 0 में रेटिंग कर दी, लेकिन बात जब एक्सपर्ट पर आई, उन्होंने कई कारण भी बताए और पूरी समीक्षा करने के बाद अपनी तरफ से नंबर दिए. पूर्व वित्त सचिव एससी गर्ग ने टैक्स छूट वाले ऐलान को 10 में से 6 नबंर दिए हैं. उनके मुताबिक वास्तिवक रूप में उन लोगों को इस ऐलान से फायदा होगा जिनकी सालाना आय सात लाख रुपये तक है. लेकिन सरकार ने तो जो छोटे-छोटे कई सारे स्लैब बनाने का काम किया है, उससे सरलता कम हो गई और कन्फ्यूजन बढ़ा है.

वहीं आर्थिक मामलों के जानकार शंकर अय्यर ने इस मामले में सरकार को 6 नंबर दिए हैं. उनकी तरफ से 6 नंबर इसलिए दिए गए क्योंकि उन्हें ये आइडिया तो अच्छा लगा, लेकिन जब वे डिटेलिंग में गए तो उन्हें कई दूसरी चीजों के बारे में भी पता चला. उनके मुताबिक सरकार ने एक नए प्रयास की कोशिश की है, लोगों को टैक्स के एक पुराने चुंगुल से बाहर निकालने की कवायद रही, ऐसे में उस प्रयास के लिए 6 नंबर दिए जा सकते हैं. इसी तरह आर्थिक विश्लेषक प्रवीण झा ने टैक्स छूट वाले कदम को 10 में से 4 नंबर दिए हैं.

गरीबों पर कैसा रहा बजट?

बातचीत के दौरान दूसरा सवाल रहा क्या इस बजट ने गरीब और आम आदमी का ध्यान रखा है. इस पर भी एक्सपर्ट की राय बंटी नजर आई. पूर्व वित्त सचिव एससी गर्ग ने इस मामले में सरकार को पांच नंबर दिए हैं. उनका तर्क है कि असल में इस बजट ने वित्त मंत्री ने भाषण के दौरान तो कोई गरीब या आम आदमी के लिए किसी योजना का ऐलान नहीं किया है. उनकी तरफ से ये भी कहा गया कि सरकार ने बजट से पहले ही गरीबों को राशन दे दिया था, कुछ दूसरी राहत भी दी गई थीं. ऐसे में उन कदम के लिए पांच नंबर, लेकिन क्योंकि इस बजट में ज्यादा कुछ नहीं किया गया, इसलिए पांच नंबर काटे गए.

आर्थिक मामलों के जानकार शंकर अय्यर ने कहा कि सरकार ने इस वाले बजट में उतनी चादर फैलाई है, जितना उसके पास पैसा है. उनके मुताबिक वित्त मंत्री ने वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए ये बजट तैयार किया है. उनकी तरफ से 6 नंबर दिए गए हैं. इसी तरह इस मामले में आर्थिक विश्लेषक प्रवीण झा ने सरकार को सिर्फ दो नंबर दिए हैं. उनका तर्क है कि कई ऐसी योजनाए हैं जिसमें सरकार ने असल में इस बार कटौती कर दी है जो बाद में गरीब समुदाय पर इसका असर भी डालेंगी. अब एक्सपर्ट ने इन मुद्दों पर तो अपनी राय दी गई, इसके अलावा बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर जो ऐलान हुए, उन्हें भी समझा.

एससी गर्ग ने इस बारे में कहा कि वे इंफ्रास्ट्रक्चर में इस सरकार को 6 नबंर देना चाहते हैं. उनका आधार ये रहा कि रोड सेक्टर में काफी काम हुआ है, बजट में कैप्टल एक्सपेंडिचर बढ़ा है. उन्होंने इंफ्रास्ट्रक्चर के लिहाज से बजट को अच्छा बताया है. इसी तरह इस डिपार्टमेंट में आर्थिक मामलों के जानकार शंकर अय्यर ने भी सरकार की तारीफ की है. उन्होंने जोर देकर कहा है कि इंफ्रास्ट्रक्चर एक ऐसा पहलू रहा है जहां पर इस सरकार की नीति शुरुआत से ही स्पष्ट दिखाई दे रही है. फिर चाहे गति शक्ति हो या फिर रेलवे के लिए नई ट्रेनें, सड़कें बनाना रहो हो या फिर कुछ और. उनकी तरफ से सरकार को 10 में से 7 नबंर दिए गए हैं. इस मामले में सबसे कम नंबर प्रवीण झा ने दिया है जो ये मानते हैं कि सरकार का ध्यान जरूर हमेशा से इंफ्रास्ट्रक्चर की तरफ रहा है, लेकिन आंकड़ों के बीच ये समझना भी जरूरी है कि उस इंफ्रास्ट्रक्चर की संरचना किस प्रकार की है. जो इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार हो रहा है, वो किस प्रकार का रोजगार देने जा रहा है, कितना रोजगार देने जा रहा है. उन्होंने सराकर को सिर्फ पांच नंबर दिए हैं.

इस समय देश में किसानों का मुद्दा भी काफी अहम है. देश की एक बड़ी किसान वर्ग के रूप में भी काम कर रही है. बजट को लेकर सरकार ने तो दावा कर दिया है कि फिर किसानों के लिए काफी कुछ किया, लेकिन जानकार ने इस डिपार्टमेंट में सरकार को कम अंक दिए हैं. आर्थिक जानकार प्रवीण झा ने तो सीधे-सीधे किसानों के लिहाज से इस बजट को घोर अन्याय बता दिया है. उनकी तरफ से सिर्फ 2 नंबर दिए गए हैं. वहीं शंकर अय्यर ने किसानों के मामले में इस सरकार को चार अंक दिए हैं. उनका मानना है कि इस सरकार ने कुछ कदम जरूर उठाए हैं, लेकिन जो गति रहनी चाहिए थी, वो गायब थी. देश का किसान कई सालों से बड़े परिवर्तन का इंतजार कर रहा है. वो कब तक करता रहेगा, ये बड़ा सवाल है. अय्यर के मुताबिक पिछले 50 सालों में खेती की दिशा में कई रीफॉर्म हुए हैं, सभी सरकारों ने किए हैं, लेकिन सवाल गति का है.

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