ABC News: विधान भवन में शिवसेना पार्टी कार्यालय को शिंदे समूह ने अपने कब्जे में ले लिया है. चुनाव आयोग के फैसले के बाद शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और तीर-धनुष का चुनाव चिह्न मिल गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आज शिंदे गुट के प्रतोद भरत गोगावले के साथ कुछ विधायक विधानमंडल में घुस गए और शिवसेना कार्यालय पर कब्जा कर लिया. पहले इस कार्यालय पर ठाकरे समूह का नियंत्रण था. यहां लगे बोर्ड और बैनर हटा दिए गए हैं. उसके बाद भरत गोगावले ने विधायकों सहित इस कार्यालय को अपने नियंत्रण में ले लिया और कहा, “अब शिवसेना हमारी पार्टी है. अब से, हम अन्य कार्यालयों को लेने के लिए कानूनी प्रयास करेंगे.”
एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद शिवसेना में अंदरूनी फूट आ गई थी. तब से महाराष्ट्र की राजनीति में शिंदे ग्रुप और ठाकरे ग्रुप नाम के दो ग्रुप देखे गए. दोनों गुटों की ओर से कई दावे और प्रतिदावे किए गए. साथ ही आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी चला. वहां से यह लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची और वहां से मामला कई दरारों में बंट गया. इसी तरह शुक्रवार (17 फरवरी) को केंद्रीय चुनाव आयोग ने शिवसेना के नाम और पार्टी के चुनाव चिन्ह को लेकर बड़ा फैसला सुनाया. महाराष्ट्र राजनीतिक संकट में उद्धव ठाकरे के लिए यह एक बड़ा झटका माना जा रहा है. सांसद अरविंद सावंत ने कहा, इसमें हैरान होने की कोई बात नहीं है. उनका उन्माद ऐसा ही रहने वाला है. कौन इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए हमारा इंतजार करने को तैयार होगा? हम इस पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही स्टैंड लेंगे. अब बहस करने का कोई मतलब नहीं है. लेकिन क्या उन्होंने पदभार ग्रहण करने से पहले विधानसभा अध्यक्ष की अनुमति ली थी? या घुसपैठिए बनकर गए हैं? अगर उन्हें अनुमति नहीं दी गई तो विधानसभा अध्यक्ष उनकी घुसपैठ के खिलाफ क्या कार्रवाई करेंगे. गोगावले ने कहा, हमने विधानसभा में शिवसेना पार्टी के कार्यालय पर कब्जा नहीं किया है, लेकिन इसमें प्रवेश किया है. हमने सभी आवश्यक कानूनी प्रक्रियाएं पूरी कर ली हैं. यह शिवसेना पार्टी का कार्यालय है और हम शिवसेना के विधायक हैं. हमने पृष्ठभूमि में तैयारी की है.” हमने कार्यालय संभालने के लिए सभी आवश्यक कानूनी प्रक्रियाएं पूरी कर ली हैं.