षटतिला एकादशी आज, जानें शुभ मुहूर्त: पूजन विधि, व्रत कथा और महाउपाय

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ABC NEWS: माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला व्रत किया जाता है. षटतिला एकादशी पर तिल के द्वारा भगवान विष्णु की पूजा का विधान है. षटतिला का मतलब है- छह तिल. यानी 6 तरीके से तिल का प्रयोग. षटतिला एकादशी पर तिल का इस्तेमाल स्नान, प्रसाद, भोजन, दान, तर्पण आदि सभी चीजों में किया जाता है. इस दिन व्यक्ति को सुबह स्नान करके भगवान विष्णु की तिलों से पूजा करनी चाहिए. उन्हें पीले फल फूल वस्त्र अर्पण करने चाहिए. मान्यता है कि इस दिन तिल का प्रयोग करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है और मन की इच्छा भी पूरी होती हैं.

शुभ मुहूर्त

माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को षटतिला एकादशी मनाई जाती है. इस साल षटतिला एकादशी 6 फरवरी यानी आज है. षटतिला एकादशी का शुभ मुहूर्त आज सुबह 7 बजकर 6 मिनट से लेकर 9 बजकर 18 मिनट तक रहेगा.

महत्व

षटतिला एकादशी को पापहारिणी के नाम से भी जाना जाता है. पापहारिणी का अर्थ होता है समस्त पापों का हरण करने वाली या सब पापों का नाश करने वाली. षटतिला एकादशी में तिल के दान का विशेष महत्व होता है. मान्यता है इस दिन जो व्यक्ति जितने तिलों का दान करता है उतने ही हजार वर्ष तक वह स्वर्ग लोग में निवास करता है.

कई हजार वर्षों की तपस्या करने से और कन्यादान, स्वर्ण दान करने से जितना पुण्य प्राप्त होता है उसका कई गुना पुण्य षटतिला एकादशी के दिन व्रत और दान करने से मिलता है. इस दिन ब्राह्मण को जल से भरा हुआ घड़ा और तिल से भरा हुआ पात्र देना बहुत ही पुण्यदायी माना जाता है. षटतिला एकादशी का व्रत करने से साधक को सुख एवं संपत्ति के साथ साथ अच्छा स्वास्थ्य और लंबी आयु भी प्राप्त होती है.

पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन काल में पृथ्वी पर एक विधवा ब्राह्मण स्त्री रहती थी. उसकी भगवान विष्णु के प्रति अटूट श्रद्धा थी. वह ब्राह्मण स्त्री पूर्ण श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ भगवान विष्णु के सभी व्रत और पूजन किया करती थी, लेकिन वह ब्राह्मणी स्त्री कभी भी किसी को अन्न दान नहीं करती थी. एक दिन भगवान विष्णु उस ब्राह्मणी के कल्याण के लिए उसके पास भिक्षा के लिए आए. तब उस ब्राह्मणी ने मिट्टी का एक पिंड उठाकर भगवान विष्णु के हाथों में रख दिया. उस पिंड को लेकर भगवान विष्णु अपने धाम, बैकुंठ लौट आए.

कुछ वर्षो के बाद उस ब्राह्मणी की मृत्यु हो गई और वो मृत्यु के बाद बैकुंठ धाम में पहुंची. वहां उस ब्राह्मणी को अपने लिए केवल एक कुटिया और एक आम का पेड़ ही मिला. खाली कुटिया को देखकर वो ब्राह्मण स्त्री बहुत निराश हुई और भगवान विष्णु के पास जाकर पूछने लगी कि हे प्रभु मैने तो पूरे जीवन आपकी पूजा-अर्चना की थी. पृथ्वी पर मैं एक धर्मपरायण स्त्री थी, फिर मुझे ये खाली कुटिया क्यों मिली? भगवान विष्णु ने उस ब्राह्मण स्त्री से कहा कि तुमने अपने जीवन में कभी अन्न का दान नहीं किया था इसलिए ही तुमको ये खाली कुटिया प्राप्त हुई.

तब उस ब्राह्मण स्त्री को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने अपनी गलती सुधारने का उपाय भगवान से पूछा, तब भगवान विष्णु ने कहा कि जब देव कन्याएं आपसे मिलने आएं तो आप द्वार तभी खोलना जब वें षटतिला एकादशी के व्रत का विधान बताएं. उस ब्राह्मण स्त्री ने वैसा ही किया और षटतिला एकादशी का व्रत रखा. इस व्रत के प्रभाव से उस ब्राह्मण स्त्री की कुटिया अन्न और धन से भर गई. इसलिए षटतिला एकादशी के दिन अन्न दान करने का बहुत महत्व माना जाता है.

सावधानियां

षटतिला एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठें स्नान करके साफ कपड़े पहने. घर में प्याज लहसुन और तामसिक भोजन का बिल्कुल भी प्रयोग न करें. सुबह और शाम एकादशी की पूजा पाठ में साफ-सुथरे कपड़े पहन कर ही व्रत कथा सुनें. घर में शांतिपूर्वक माहौल बनाए रखें. एक आसन पर बैठकर ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र’ का 108  बार जाप जरूर करें. इस दिन झूठ नहीं बोलना चाहिए. बड़ों का निरादर न करें. काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार आदि का त्याग कर भगवान की शरण में जाना चाहिए.

तिल का विशेष प्रयोग

षटतिला एकादशी पर सूर्योदय से पहले उठें और तिल का उबटन लगाकर कुछ देर बैठें. स्नान के जल में तिल डालकर स्नान करें और हलके पीले रंग के कपड़े पहनें. पूर्व की दिशा की तरफ मुंह करके पांच मुट्ठी तिलों से 108 बार ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र की आहुति दें. किसी योग्य विद्वान ब्राह्मण की सलाह से दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके पितरों के लिए तिल से तर्पण करें.

षटतिला एकादशी के व्रत विधान में अन्न का सेवन ना करें और शाम को तिल का भोजन बनाकर भगवान विष्णु को भोग लगाकर प्रसाद के रूप में सेवन करें. तिल से बनी रेवड़ी गजक और मिष्ठान का दान किसी जरूरतमंद को करें. रात में सोते समय अपने बिस्तर में तिल जरूर डाल कर सोएं. शाम के समय और रात्रि में भगवान विष्णु के भजन जरूर सुनें.

पूजा और महाउपाय

षटतिला एकादशी पर सूर्य उदय होने से पहले उठें. भगवान विष्णु के चित्र को या मूर्ति को पीले रंग का कपड़ा बिछाकर स्थापित करें. भगवान विष्णु की रोली, मौली, तिल, धूप, दीप, पीले फूल, माला, नारियल, सुपारी, अनार, आंवला, लौंग बेर, पंचामृत से पूजा करें. षटतिला एकादशी पर पूरी श्रद्धा और विश्वास से भगवान विष्णु का पूजन करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मन की इच्छा पूरी होती है. एक पीले आसन पर बैठकर नारायण कवच का 3 बार पाठ करना चाहिए. ऐसा करने से मन की इच्छा जरूर पूरी होती है.

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