ABC NEWS: हिंदी पंचांग के अनुसार आज फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि है और इसे द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है. संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश को समर्पित होता है और इस दिन विधि-विधान के साथ उनका पूजन किया जाता है. मान्यता है कि जिस व्यक्ति पर गणेश जी कृपा बरसाते हैं उसके जीवन में आने वाले सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं. इसके अलावा महिलाएं ये व्रत घर की सुख-शांति, समृद्धि और संतान प्राप्ति की कामना से भी रखती हैं. आइए जानते हैं पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में विस्तार से.
संकष्टी चतुर्थी 2023 शुभ मुहूर्त
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का आरंभ 9 फरवरी को सुबह 6 बजकर 23 मिनट पर होगा और 10 फरवरी को सुबह 7 बजकर 58 मिनट पर इसका समापन होगा. उदयातिथि के अनुसार 9 फरवरी को संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाएगा. इस दिन शाम को 4 बजकर 46 मिनट पर सुकर्मा योग बन रहा है और इस योग में किए गए कार्यों में व्यक्ति को अवश्य सफलता हासिल होती है. इस व्रत में चंद्रमा का विशेष महत्व होता है क्योंकि चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है. आज चंद्रोदय का समय रात को 9 बजकर 18 मिनट है.
संकष्टी चतुर्थी पूजन विधि
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का आशीर्वाद पाने के लिए लोग व्रत करते हैं और रात्रि के समय व्रत का पारण किया जाता है. इस दिन सुबह उठकर स्नान आदि मंदिर को स्वच्छ करें और भगवान गणेश को पूजन आरंभ करें. ध्यान रखें कि इस दिन भगवान गणेश को उत्तर दिशा की तरफ मुंह करके जल अर्पित करना चाहिए और जल में कुछ दाने तिल के अवश्य मिलाएं. इसके बाद गणेश जी को दूर्वा अर्पित करें और लड्डू का भोग लगाएं. दिन भर फलाहार करें और रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करें.