ABC NEWS: संघ का 6 अक्टूबर से शुरू होने वाले स्वर संगम घोष शिविर के कई तरह से राजनीतिक मायने निकाले जा रहे है. दलित वोटों को भाजपा की तरफ लाने की कोशिशें तेज हो गईं हैं. इसी कड़ी में घोष शिविर में आने वाले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को 9 अक्तूबर को फूलबाग में वाल्मीकि समाज के कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि रहेंगे.
आरएसएस के कानपुर प्रांत जिसमें 21 जिले आते हैं. उनके लिए घोष शिविर काफी राजनीतिक मायने रखता है. यहां पर स्वयंसेवकों के साथ छोटी-छोटी बैठकों में मोहन भागवत देश के प्रति उनका दृष्टिकोण जानेंगे. निकाय चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव के लिहाज से मोहन भागवत का कानपुर प्रवास बहुत अहम माना जा रहा है.
संघ की कानपुर, बुंदेलखंड और पश्चिमी जिलों पर निगाहें
घोष शिविर और संघ की सक्रियता भाजपा के पक्ष में 3 विधानसभा क्षेत्रों में सीधे असर डाल सकती है. वर्तमान में कैंट, आर्यनगर और सीसामऊ पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है। 1999 से पहले यहां से कांग्रेस प्रत्याशी जीतता रहा है. यूपी में इसी साल दिसंबर में होने वाले निकाय चुनाव को 2024 के लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है. इस लिहाज से भागवत की दलितों के कार्यक्रम में भागीदारी को इसी नजर से देखा जा रहा है.
भाजपा की चिंताओं को कम करने में जुटा संघ
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की साढ़े तीन हजार किमी. की पदयात्रा पर निकले हुए हैं. बिहार के नीतीश कुमार सभी विपक्षी दलों का साझा मंच तैयार करने में जुटे हुए हैं. वहीं, लालू प्रसाद यादव की सक्रियता से भाजपा में हलचल बढ़ी हुई है. भाजपा की इस चिंता से मुक्त करने में संघ भी जुट गया हैं. भागवत की मुस्लिम बुद्धिजीवियों से हालिया मीटिंग के बाद कानपुर में दलितों से मेलजोल को लेकर चर्चा जोरों पर है.
वाल्मीकि समाज की समस्याओं को समझेंगे संघ प्रमुख
9 अक्टूबर को वाल्मीकि जयंती पर कानपुर में 2 बड़े कार्यक्रम होते हैं. एक फूलबाग में वाल्मीकि विकास परिषद का और दूसरा मोतीझील में केंद्रीय वाल्मीकि मेला उत्सव समिति का होता है. पहले आयोजन की बागडोर दयाकुमार के हाथ में है, तो दूसरे के आयोजक प्रकाश हजारिया हैं. वाल्मीकि समाज के नेता राजू वाल्मीकि बताते हैं कि इस समाज की समस्याएं बहुत हैं. जिनका हल न बसपा सरकार में हो पाया और न ही सपा सरकार के कार्यकाल में. समाज की ओर से संघ प्रमुख मोहन भागवत को ज्ञापन देने की तैयारी है जिसमें प्रमुख मांग वाल्मीकि बस्तियों का स्वामित्व का रहेगा.