RLD ने पहली बार कबूली बीजेपी से डीलिंग की बात, खोले लोकसभा चुनाव में गठबंधन के सारे पत्ते

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ABC NEWS: लोकसभा चुनाव से पहले यूपी का सियासी माहौल गरमा गया है. राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) नेता जयंत चौधरी के भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के साथ जाने की अटकलों से राजनीति में उबाल आ गया है. ऐसी अटकलें हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव में सपा के साथ सीटों के बंटवारे पर बात नहीं बनने पर आरएलडी बीजेपी की अगुवाई वाले राजग में शामिल हो सकता है. इन अटकलों के बीच आरएलडी के नेता के ओर से भाजपा के साथ गठबंधन पर पहली रिएक्शन सामने आया. पार्टी प्रवक्ता पवन आगरी ने भी बीजेपी के साथ गठबंधन के संकेत दिए हैं. उन्होंने कहा है कि जो भी दल किसानों के हित में बात करेगा हम उसके साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे.

RLD के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन आगरी ने कहा, “चुनावी साल है, बहुत सारी पार्टियां हमारे साथ गठबंधन के लिए आ रही हैं. भाजपा के द्वारा पिछली बार भी गठबंधन की पेशकश की गई थी, इस बार भी पेशकश है. वे 4 सीटों की बात कर रहे हैं लेकिन हमने 12 लोकसभा सीटों पर तैयारी की है.  हम किसके साथ गठबंधन में चुनाव लड़ेंगे इस बात का निर्णय हम लेंगे. जो पार्टी जनता और किसानों की हित के लिए हमारी मांगों पर सहमत होगी, हम उन्हीं के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ेंगे.”

पहले हुई थी SP के साथ गठबंधन की घोषणा
इससे पहले सपा और रालोद ने इसी साल 19 जनवरी को आगामी लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन का ऐलान किया था. गठबंधन के तहत रालोद को 7 सीटें दी गईं थी. तब अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा था, ‘रालोद और सपा के गठबंधन पर सभी को बधाई. आइए हम सभी जीत के लिए एकजुट हों.’

इस पोस्ट को पुन: पोस्ट करते हुए जयंत चौधरी ने कहा था, ‘‘राष्ट्रीय और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए हमेशा तैयार हूं. हम उम्मीद करते हैं कि हमारे गठबंधन के सभी कार्यकर्ता हमारे क्षेत्र के विकास और समृद्धि के लिए मिलकर आगे बढ़ेंगे.’ उन्होंने दोनों नेताओं की हाथ मिलाते हुए तस्वीरें भी शेयर की थीं.

भाजपा के रालोद से नजदीकी बढ़ाने और गठबंधन की अटकलों के बीच अखिलेश यादव ने इस पूरे मामले में कहा है कि जयंत चौधरी बहुत सुलझे हुए हैं. वह पढ़े-लिखे और राजनीति को समझने वाले इंसान हैं. मुझे नहीं लगता कि वो किसानों की लड़ाई को कमज़ोर होने देंगे.

RLD का 2014 और 2019 का अनुभव
पश्चिमी यूपी में  2014 में आरएलडी 8 सीटों में से एक भी सीट पर जीती नहीं थी. वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में 27 सीटों में से बीजेपी ने 19 सीटों और बसपा और सपा ने 4-4 सीटें यानी कुल 8 सीटें जीती थी. 2019 में सपा और बसपा के साथ गठबंधन में 3 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली आरएलडी को एक भी सीट नहीं मिली थी. जयंत चौधरी अपनी पारंपरिक सीट बागपत से चुनाव लड़े थे, लेकिन बीजेपी के सतपाल मलिक से कुछ हजार वोटों से हार गए थे. ताजा हालातों की तरफ देखें तो फिलहाल जयंत चौधरी को अयोध्या में बने राम मंदिर की लहर का अंदेशा है. जाट समुदाय भी राम के रंग में रंगा दिख रहा है.

जाट मतदाता परम्परागत रूप से रालोद का मुख्य वोट बैंक रहे हैं. जाट बहुल लोकसभा क्षेत्रों में मुजफ्फरनगर, कैराना, बिजनौर, मथुरा, बागपत, अमरोहा और मेरठ शामिल हैं, जिन पर रालोद के चुनाव लड़ने की संभावना है.

RLD को भागीदारी देने की तैयारी 
पश्चिम की चार लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ाने और एक राज्यसभा की सीट देकर राष्ट्रीय लोकदल से गठबंधन हो सकता है. भाजपा से रालोद गठबंधन की स्थिति में 27 फरवरी को होने वाले में राज्यसभा की 10 सीटों के चुनाव पर सपा की तीसरी सीट खतरे में होगी. इन चुनावों में 10 में से 7 सीट भाजपा आराम से जीत रही है. गठबंधन हो जाने के बाद 8वें प्रत्याशी के तौर पर भाजपा  सपा से सीट छीन सकती है. और इसी हफ्ते इसका ऐलान हो सकता है.

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