ABC NEWS: कड़ाके की ठंड में शहीद अशफाक उल्ला प्राणी उद्यान (चिड़ियाघर) में रह रहे वन्यजीवों का हाजमा बिगड़ रहा है । वन्य जीव डाइट तो पूरी ले रहे हैं लेकिन उनकी सक्रियता कम हो गई है. ऐसे में शरीर का आंतरिक संतुलन बिगड़ रहा है. इसे संतुलित कर रहा है आयुर्वेदिक पाचक चूर्ण. जी हां, हिरणों में सबसे ताकतवर विक्रांत हो या फिर गैंडे हर-गौरी और हिप्पो लक्ष्मी-नन्हे. सभी की इस समय पहली पसंद पाचक चूर्ण बन गया है. चिड़ियाघर में रोजाना वन्य जीवों को भोजन के साथ पाचक चूर्ण भी दिया जा रहा है, जिससे कि वे भोजन पचा सकें.
आयरन-कैल्शियम संग ले रहे मल्टीविटामिन
चिड़ियाघर में मांसाहारी वन्यजीवों में सबसे अधिक तेंदुए हैं. यहां चंडी, भवानी, नारद, मिनी, मोना और नंदा रह रहे हैं. इसके अलावा अमर व मैलानी बाघ, मरियम व पटौदी शेर भी है। लकड़बग्घा परिवार का नेतृत्व अर्जुन और चमेली कर रहे हैं. इन सभी का हाजमा ठीक करने के लिए लिवर टॉनिक दिया जा रहा है. उन्हें आयरन कैल्शियम और मल्टीविटामिन भी दिया जा रहा है, जिससे कि सर्दी में कमजोरी का अहसास न हो.
शहद से सर्दी दूर कर रहे भालू
चिड़ियाघर के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ योगेश प्रताप सिंह ने बताया कि सर्दियों में भालू की पाचन क्षमता पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है. आमतौर पर यह शाकाहारी जीव है. इसके पाचन को ठीक करने में शहद अमृत के समान है. भालू को इस समय शहद और मूंगफली का सेवन कराया जा रहा है. चिड़ियाघर में हिमालयन काले भालू के परिवार में वीरू व शालिनी शामिल हैं. इसके अलावा देसी भालू के तौर पर नीतीश व रानी है.
सही पाचन से दूर रहता है तनाव
उन्होंने बताया कि पाचन क्षमता का दिमागी संतुलन से सीधा संबंध होता है. जब मौसम प्रतिकूल होता है तो वन्य जीवों को तनाव से बचाने के लिए उनकी पाचन क्षमता को दुरुस्त करना जरूरी होता है. उनकी पाचन क्रिया खराब न हो, इसलिए उन्हें पाचक चूर्ण दिया जाता है. इस चूर्ण में काला नमक, अजवाइन समेत अनेकों प्रकार की आयुर्वेदिक औषधियां मिली रहती हैं.