कर्तव्य पथ पर बना इतिहास, पहली बार आदिवासी महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ली परेड की सलामी

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ABC NEWS: भारत आज 26 जनवरी को 74वां गणतंत्र दिवस मना रहा है. कर्तव्य पथ इस बार गणतंत्र दिवस पर इतिहास बन गया. देश में पहली बार आदिवासी महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने परेड की सलामी ली. परंपरा के अनुसार, राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया और उसके बाद 21 तोपों की सलामी के साथ राष्ट्रगान हुआ. इसके बाद परेड की शुरुआत हो गई. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी कर्तव्य पथ पर स्वागत किया.

गणतंत्र दिवस के मौके पर पहली बार कर्तव्य पथ पर परेड हो रही है. इससे पहले इस जगह को राजपथ के नाम से जाना जाता था. इस परेड में ‘न्यू इंडिया’ की झलक दिखेगी. इसके साथ ही स्वदेशी सैन्य पराक्रम और नारी शक्ति का प्रदर्शन होगा. राज्यों की झांकियां में सांस्कृतिक विविधता दिखेगी. साथ ही वायुसेना के 50 विमान पराक्रम दिखाएंगे. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू कर्तव्य पथ से राष्ट्र का नेतृत्व कर रही हैं. इस बार गणतंत्र दिवस पर मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी (Abdel Fattah El-Sisi) मुख्य अतिथि हैं.

दिल्ली पुलिस के अनुसार, 26 जनवरी को लगभग 65,000 लोग परेड देख रहे हैं. 26 जनवरी की परेड की सुरक्षा के लिए लगभग 6,000 जवानों को तैनात किया गया है, जिसमें दिल्ली पुलिस के अलावा अर्धसैनिक बल और एनएसजी शामिल हैं. करीब 150 सीसीटीवी कैमरों की मदद से कर्तव्य पथ पर नजर रखी जा रही है.

कर्तव्य पथ पर भारतीय नौसेना का मार्चिंग दस्ता

भारतीय नौसेना के मार्चिंग दस्ते में 144 युवा नौसैनिक शामिल हैं, जिनका नेतृत्व लेफ्टिनेंट कमांडर दिशा अमृथ कर रहे हैं. पहली बार मार्चिंग दल में तीन महिलाएं और छह अग्निवीर शामिल हैं. भारतीय नौसेना ने अपनी बहु-आयामी क्षमताओं, नारी शक्ति और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत प्रमुख स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित परिसंपत्तियों का प्रदर्शन किया.

कर्तव्य पथ दिखी K9 वज्र की झलक

बीएमपी वेपन सिस्टम कर्तव्य पथ पर दिखा जो कि हर मौसम में हर स्थिति में वार कर सकता है. यह बुलेट प्रूफ होता है. इसके बाद के 9 वज्रा दिखाई दिया. यह स्वचालित हथियार वाहन है। यह फायर करके खुद अपनी जगह से शिफ्ट हो जाता है.

ब्रह्मोस मिसाइल का प्रदर्शन

कर्तव्य पथ पर भारत द्वारा बनाई गई ब्रह्मोस मिसाइल का प्रदर्शन किया गया. यह 350 किलोमीटर की दूरी पर वार कर सकती है. कई देशों ने इसकी मांग की है। इसे रूस के साथ मिलकर बनाया गया था.

 

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