ABC NEWS: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरंग से 17 दिन बाद सुरक्षित बाहर निकाले गए मजदूरों से फोन पर बातचीत की. पीएम मोदी ने शबा अहमद से कहा, मैंने फोन को स्पीकर पर रखा है ताकि मेरे साथ बैठे लोग भी आपकी बात सुनें. सबसे पहले मैं आपको बधाई देता हूं. मेरे लिए बहुत खुशी की बात है, मैं शब्दों में वर्णन नहीं कर सकता हूं. केदारनाथ बाबा की कृपा रही कि आप सभी लोग सुरक्षित निकले. आप लोगों ने बहुत हिम्मत दिखाई.’
#WATCH | Prime Minister Narendra Modi’s telephonic conversation with the workers who were successfully rescued from Uttarakhand’s Silkyara tunnel after 17 days pic.twitter.com/G1q26t5Ke8
— ANI (@ANI) November 29, 2023
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फोन पर बात की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फोन पर जब नाम पूछा तो युवा इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड के सबा अहमद से बात हुई. PM Modi ने सबा अहमद से कहा कि मैं मेरा टेलीफोन स्पीकर पर रखा है, ताकि मेरे साथ जो लोग बैठे हैं, वे भी आपकी बातें सुनना चाहेंगे.
पीएम मोदी ने सबा अहमद से कहा कि सबसे पहले तो मैं आप और आपके सभी साथियों को बधाई देता हूं कि इतने संकट के बाद भी निकाल पाए. ये मेरे लिए बहुत खुशी की बात है. मैं इसका शब्दों में वर्णन नहीं कर सकता हूं. ये केदारनाथ बाबा और बद्रीनाथ भगवान की कृपा रही कि आप लोग सब सकुशल आए हैं.
मोदी ने कहा कि 16-17 दिन का समय कम नहीं होता है. आप लोगों ने बहुत बड़ी हिम्मत दिखाई. एक-दूसरे का हौसला बनाए रखा. ये सबसे बड़ी बात है. आप लोगों ने इतना धैर्य रखा. मैं लगातार जानिकारियों लेता रहता था. मुख्यमंत्री से भी लगातार संपर्क में रहता था. मेरे पीएमओ के अफसर वहां आकर बैठे थे.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमें जानकारियां रहती थीं, लेकिन चिंता तो कम होती नहीं है.जानकारियों से समाधान तो होता नहीं है. वहां जितने भी श्रमिक निकलकर आए हैं, उन सबके परिवार का पुण्य भी काम आया है, जिससे वे इस संकट की घड़ी से बाहर निकलकर आए हैं.
पीएम से बात करते हुए सबा अहमद ने कहा कि हम लोग इतने दिनों तक टनल में फंसे रहे, लेकिन हम लोगों को एक दिन भी ऐसा कुछ भी एहसास नहीं हुआ कि हम लोगों को कुछ ऐसी कमजोरी हो रही है या कोई घबराहट हो रही है. टनल के अंदर हमें ऐसा कुछ नहीं हुआ. वहां 41 लोग थे, और सब भाई की तरह रहते थे. किसी को भी कुछ हो तो हम लोग एक साथ रहते थे. किसी को कोई दिक्कत नहीं होने दी.
सबा अहमद ने कहा कि खाना आता था तो हम लोग मिलजुल के एक जगह बैठ के खाते थे. रात में खाना खाने के बाद सभी को बोलते थे कि चलो एक बार टहलते हैं. टनल का लेन ढाई किलोमीटर का था, उसमें हम लोग टहलते थे. इसके बाद मॉर्निंग के समय हम सभी से कहते थे कि मॉर्निंग वॉक और योगा करें. इसके बाद सभी हम वहां योगा करते थे और घूमते टहलते थे.
सिल्क्यारा सुरंग में 12 नवंबर को सुरंग धंसने से 41 मजदूर फंस गए थे. इन्हें सुरक्षित बाहर निकालने का अभियान बार-बार नाकाम हो रहा था, लेकिन हार नहीं मानी गई. रेस्क्यू के लिए अमेरिका की ऑगर मशीन का इस्तेमाल किया गया, लेकिन इसके टूट जाने के बाद रैट माइनर्स ने बचे हुए मलबे को खोदकर बाहर निकाला. इसके बाद मंगलवार की शाम सभी मजदूरों को पाइप के जरिए सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया.