ABC NEWS: प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं और सनातन धर्म में इस व्रत का विशेष महत्व माना गया है. 27 दिसंबर 2023 को पौष का महीना शुरू होने जा रहा है और इस माह आने वाले संकष्टी चतुर्थी को अखुरथ चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. इस दिन जातक भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं और रात्रि के समय चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अखुरथ चतुर्थी का व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन में आ रही सभी बाधाएं दूर होती हैं और सफलता के रास्ते खुलते हैं. आइए जानते हैं कब है साल का आखिरी संकष्टी चतुर्थी व्रत और पूजा विधि.
अखुरथ संकष्टी 2023 डेट
पौष माह के कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी को अखुरथ चतुर्थी कहा जाता है. पंचांग के अनुसार इस साल यह तिथि 30 दिसंबर को सुबह 9 बजकर 43 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 31 दिसंबर को सुबह 11 बजकर 55 मिनट पर होगा. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार अखुरथ चतुर्थी व्रत 30 दिसंबर को रखा जाएगा.
अखुरथ चतुर्थी 2023 शुभ मुहूर्त
अखुरथ चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा होती है और इस दिन उन्हें प्रसन्न करने के लिए व्रत भी रखा जाता है. दिनभर फलाहार करने के बाद रात्रि के समय चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण होता है. इसलिए इस दिन चंद्रोदय का भी बेसब्री से इंतजार किया जताा है. पंचांग के मुताबिक अखुरथ चतुर्थी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 8 बजकर 3 मिनट से लेकर सुबह 9 बजकर 30 मिनट तक रहेगा. इसके बाद शाम को 6 बजकर 14 मिनट से लेकर रात 7 बजकर 46 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त है. इस व्रत का पारण चंद्रोदय के बाद ही किया जाता है और 30 दिसंबर को चंद्रोदय रात 9 बजकर 10 पर होगा.
अखुरथ चतुर्थी का महत्व
अखुरथ चतुर्थी यानि संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से जातक को भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में आ रहे सभी विघ्न दूर होते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिन लोगों की कुंडली में बुध या चंद्र दोष होता है उन्हें यह व्रत जरूर करना चाहिए. इससे बुध व चंद्रमा मजबूत होते हैं. जिसकी कुंडली में बुध व चंद्रमा मजबूत दशा में होते हैं उसे हर कार्य में सफलता मिलती है. साथ ही चंद्रमा का पूजन करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है.