ABC NEWS: सनातन धर्म को मानने वाले बहुत से लोगों के आराध्य देव भगवान शिव हैं. भगवान शिव की पूजा करने से कष्टों और दुख दर्द से छुटकारा प्राप्त होता है. हिंदू धर्म शास्त्रों में भगवान शिव को जल चढ़ाने के बहुत से नियम बताए गए हैं. माना जाता है कि भगवान शिव को जल चढ़ाने मात्र से ही वह प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों की हर कामना को पूरा करते हैं, लेकिन भगवान शिव को जल चढ़ाते समय दिशा का ध्यान होना बहुत जरूरी है. कहा जाता है कि सही दिशा में खड़े होकर भगवान शिव को जल चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं और मनोकामना की पूर्ति करते हैं. यदि गलत तरीके से या गलत दिशा में खड़े होकर भगवान शिव को जल चढ़ाया जाए तो वे रुष्ट भी हो सकते हैं. भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु विशेषज्ञ पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा बता रहे हैं भगवान शिव को जल चढ़ाते समय किस दिशा में खड़ा होना होता है शुभ.
किस दिशा की ओर चढ़ाएं जल
हर व्यक्ति को शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय यह ध्यान में रखना चाहिए कि कभी भी पूर्व दिशा की ओर मुंह करके शिवलिंग पर जल चढ़ाएं. पूर्व दिशा को भगवान शिव का मुख्य द्वार माना जाता है. इस दिशा की ओर मुख करके जल चढ़ाने से शिव के द्वार में अवरोध उत्पन्न होता है.
सनातन धर्म शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव को जल अर्पित करते समय कभी भी मुख उत्तर, पूर्व और पश्चिम दिशा में नहीं होना चाहिए. बताया जाता है कि इन दिशाओं में भगवान शिव की पीठ, कंधा आदि होते हैं इसलिए इन दिशाओं में मुख करके शिवलिंग पर जल चढ़ाने से शुभ फल प्राप्त नहीं होता.
-धर्म शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय हमेशा दक्षिण दिशा में खड़े होकर ही जल चढ़ाना चाहिए. इस दिशा में खड़े होकर शिवलिंग पर जल चढ़ाने से पुण्य की प्राप्ति होती है.
-शिवलिंग पर दक्षिण दिशा में खड़े होकर जल चढ़ाते समय यह ध्यान रहे कि जल उत्तर दिशा की ओर से शिवलिंग पर गिरे, ऐसा करने से भगवान भोलेनाथ जल्द प्रसन्न होते हैं.
-शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय इस बात का ध्यान रखें कि जल्दी से नहीं बल्कि धीरे-धीरे एक छोटी धारा के रूप में चढ़ाया जाना चाहिए. छोटी जलधारा भगवान शिव को अत्यंत प्रिय होती है.
-शिवलिंग पर जल चढ़ाने के बाद कभी भी भगवान शिव की पूरी परिक्रमा नहीं करना चाहिए, क्योंकि भगवान शिव को अर्पित किया गया जल लांघना उचित नहीं होता.