ABC NEWS: उत्तर प्रदेश की गाजीपुर लोकसभा सीट से बसपा के सांसद अफजाल अंसारी की सदस्यता रद्द कर दी गई है. शनिवार को गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट मामले पर अफजाल अंसारी को 4 साल की सजा सुनाई थी. इसी के चलते सोमवार को अफजाल अंसारी की सदस्यात रद्द की गई है. अफजाल अंसारी माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के बड़े भाई हैं.
BSP MP Afzal Ansari disqualified as a member of Lok Sabha representing the Ghazipur Parliamentary Constituency upon his conviction by the Court of Additional Sessions Judge, MP/MLA Court, Ghazipur.
— ANI (@ANI) May 1, 2023
इस मामले में हुई सजा
साल 2005 में तत्कालीन बीजेपी विधायक कृष्णानन्द राय समेत 7 लोगों की हत्या कर दी गई थी. मुहम्मदाबाद थाना क्षेत्र के बसनिया चट्टी पर इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया था. मामले में 2007 में गैंगेस्टर एक्ट के तहत अफजाल अंसारी, उनके भाई माफिया डॉन मुख्तार मुख्तार अंसारी और बहनोई एजाजुल हक पर गैंगेस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था.
दो बार सांसद बने अफजाल अंसारी, दोनों बार जाना पड़ा जेल
गौरतलब है कि दो साल से ज्यादा की सजा मिलने पर जनप्रतिनिधि कानून के तहत सदन की सदस्यता चली जाती है. हाल ही में राहुल गांधी को जब कोर्ट ने 2 साल की सजा सुनाई गई थी. इसके बाद उनकी भी लोकसभा सदस्यता चली गई थी.
क्या है जनप्रतिनिधि कानून?
1951 में जनप्रतिनिधि कानून आया था. इस कानून की धारा-8 में लिखा है, अगर किसी सांसद या विधायक को आपराधिक मामले में दोषी ठहराया जाता है, तो जिस दिन उसे दोषी ठहराया जाएगा, तब से लेकर अगले 6 साल तक वो चुनाव नहीं लड़ सकेगा. धारा 8(1) में उन अपराधों का जिक्र है जिसके तहत दोषी ठहराए जाने पर चुनाव लड़ने पर रोक लग जाती है. इसके तहत, दो समुदायों के बीच घृणा बढ़ाना, भ्रष्टाचार, दुष्कर्म जैसे अपराधों में दोषी ठहराए जाने पर चुनाव नहीं लड़ सकते. हालांकि, इसमें मानहानि का जिक्र नहीं है.
इन नेताओं की जा चुकी है सांसदी और विधायकी
राहुल गांधी- हाल ही में सूरत कोर्ट ने ‘मोदी सरनेम’ मानहानि मामले में राहुल गांधी को दोषी करार देते हुए 2 साल की सजा सुनाई थी. इस फैसले के बाद लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की संसद सदस्यता को रद्द कर दिया था.
विक्रम सैनी- 2022 में मुजफ्फरनगर की खतौली विधानसभा सीट से BJP विधायक विक्रम सैनी की विधानसभा सदस्यता इसी कानून के चलते चली गई थी. दंगे के एक मामले में मुजफ्फरनगर की एक कोर्ट ने सैनी को 2 साल की सजा सुनाई थी और 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगा था.
खब्बू तिवारी- 2021 में अयोध्या की गोसाईंगंज सीट से भाजपा विधायक इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी की 29 साल पुराने मामले में विधानसभा की सदस्यता रद्द कर दी गई थी. खब्बू तिवारी को कोर्ट ने एक मामले में 5 साल की सजा सुनाई थी.
आजम खान- समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान की सदस्यता भी इसी कानून के तहत चली गई थी. आजम खान रामपुर से लगातार 10 बार विधायक और सांसद भी रहे चुके हैं.
अब्दुल्ला आजम- आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम की भी विधानसभा सदस्यता भी इसी कानून के चलते रद्द हो गई. मुरादाबाद की एक अदालत ने 15 साल पुराने मामले में अब्दुल्ला आजम को दो साल की सजा सुनाई थी.
कुलदीप सेंगर- उत्तर प्रदेश के उन्नाव रेप मामले में बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को तीस हजारी कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी और 25 लाख का जुर्माना लगाया था. इसके बाद कुलदीप सिंह सेंगर की विधायकी चली गई.
लालू यादव- राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया और बिहार के मुख्यमंत्री रहे लालू यादव सितंबर, 2013 में चारा घोटाले के दोषी पाए गए थे. इसके बाद उनकी सांसदी चली गई थी, जिसके बाद चुनाव लड़ने पर रोक लग गई थी. इसके बाद से लालू जेल में बंद हैं.
जयललिता- तमिलनाडु की मुख्यमंत्री और ऑल इंडिया अन्ना द्रमुक मुनेत्र कड़गम की मुखिया रहीं जे जयललिता को सितंबर 2014 में आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी पाया गया था. 10 साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लगी थी, जिसके बाद उन्हें सीएम पद छोड़ना पड़ा था.
कमल किशोर भगत- झारखंड में आजसू विधायक कमल किशोर भगत को दोषी करार दिए जाने के बाद अपनी कर्सी गंवानी पड़ी है. कमल किशोर भगत तो जून 2015 में हत्या के दोषी पाए गए थे, जिसके बाद उनकी सदस्यता चली गई थी. बता दें कि कमल किशोर भगत 2014 में झारखंड की लोहरदगा सीट से आजसू के टिकट पर विधायक चुने गए थे.
रशीद मसूद- काजी रशीद मसूद राज्यसभा के सांसद रहते हुए दोषी पाए गए थे, जिसके बाद उन्हें राज्यसभा सदस्यता चली गई थी. रशीद मसूद उत्तर प्रदेश से कांग्रेस के राज्यसभा के सांसद थे. 2013 में एमबीबीएस सीट घोटाले में दोषी पाए गए थे. चार साल की सजा हुई और सांसदी चली गई थी.
सुरेश हलवंकर- महाराष्ट्र में बीजेपी के विधायक सुरेश हलवंकर को भी अपनी सदस्यता गवांनी पड़ी है. सुरेश हलवंकर को बिजली चोरी के मामले में कोर्ट ने मई, 2014 में तीन साल की जेल की सजा सुनाई थी, जिसके चलते उनकी विधायकी चली गई. हालांकि उन्होंने हाई कोर्ट से निचली अदालत के फैसले के खिलाफ स्टे लेकर आए थे और 2014 में चुनाव लड़कर विधायक चुने गए थे.