ABC NEWS: PFI (पापुलर फ्रंट आफ इंडिया) के खिलाफ देश भर में हो रही छापेमारी में भले ही अभी कानपुर से कोई गिरफ्तारी न हुई हो, लेकिन खुफिया जानकारी के मुताबिक औद्योगिक नगरी में इस चरमपंथी संगठन के सौ से ज्यादा स्लीपिंग सेल छिपे हुए हैं. इधर इस खबर के सामने आने के बाद ATS ने PFI से जुड़े संदिग्ध लोगों से पूछताछ शुरू कर दी है.
PFI के कानपुर में सक्रिय होने की जानकारी पर अब तक खुफिया रिपोर्ट यही है कि संगठन यहां पर करीब डेढ़ दशक से सक्रिय है. नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुई हिंसा के बाद जब PFI के सदस्य पकड़े गए थे तो दावा किया गया था कि यहां पर संगठन का बड़ा सम्मेलन चमनगंज में हुआ था.
PFI कानपुर में सिमी का विकल्प बनने की कोशिश में है. हालांकि खास बात यह है कि इस जमात में पढ़े लिखे लोग भी शामिल हैं. मुख्य रूप से बेकनगंज और जाजमऊ में PFI से जुड़े लोग हैं. तीन जून को हुई हिंसा में भी PFI ने हयात की गिरफ्तारी पर विरोध दर्ज कराया था. बाकायदा इसके लिए पत्र जारी हुआ था, जिससे साफ है कि संगठन की नजर कानपुर में है.
इधर पुलिस की जांच में सामने आया है कि तीन जून को नई सड़क में हुई हिंसा के मामले में जिन तीन PFI सदस्यों को पकड़ा गया था, उनके द्वारा हिंसा में आर्थिक मदद करने की पुष्टि हुई है. हालांकि अभी इनके मोबाइल की फोरेंसिक रिपोर्ट नहीं मिली है, लेकिन जो डाटा रिकवर हुआ था, उसमें साफ हुआ था कि तीनों ने बाजार बंदी व हिंसा से जुड़े वीडियो प्रचारित किए थे.