माता महालक्ष्मी व्रत आज से: 6 अक्टूबर तक चलेगा, जानें मुहूर्त, मंत्र और पूजा विधि

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ABC NEWS: महालक्ष्मी व्रत का शुभारंभ आज 22 सितंबर दिन शुक्रवार से हुआ है. आज से गरीबों की झोली भरने माता लक्ष्मी आ रही हैं. महालक्ष्मी व्रत 22 सितंबर से 6 अक्टूबर तक चलेगा. यह व्रत भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से आश्विन कृष्ण अष्टमी तक चलता है. सबसे विशेष बात यह है कि महालक्ष्मी व्रत का शुभारंभ शुक्रवार से हो रहा है और शुक्रवार को ही खत्म भी हो रहा है. 15 दिनों तक महालक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाएगी. उनके आशीर्वाद से धन, सुख और समृद्धि बढ़ेगी. कंगाली और दरिद्रता दूर होगी. नकारात्मकता का अंत होगा. दिवाली से पहले माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने का यह बड़ा ही सुनहरा मौका है. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बता रहे हैं महालक्ष्मी व्रत की पूजा विधि, मुहूर्त और मंत्र के बारे में.

शुभारंभ
भाद्रपद शुक्ल अष्टमी तिथि का प्रारंभ: आज, शुक्रवार, दोपहर 01:35 पीएम से
भाद्रपद शुक्ल अष्टमी तिथि का समापन: कल, शनिवार, दोपहर 12:17 पीएम पर

समापन
आश्विन कृष्ण अष्टमी तिथि की शुरूआत: 6 अक्टूबर, शुक्रवार, सुबह 06:34 एएम से
आश्विन कृष्ण अष्टमी तिथि की समाप्ति: 7 अक्टूबर, शनिवार, सुबह 08:08 एएम पर

पूजा का शुभ मुहूर्त
आयुष्मान योग: आज, सूर्योदय से लेकर 11:53 पीएम तक
ज्येष्ठा नक्षत्र: प्रात: काल से दोपहर 03:34 पी एम तक, उसके बाद मूल नक्षत्र
सुबह में महालक्ष्मी पूजा मुहूर्त: 07:40 एएम से 10:43 एएम तक
दोपहर में महालक्ष्मी पूजा मुहूर्त: 12:14 पी एम से 01:45 पी एम तक
महालक्ष्मी रात्रि पूजा मुहूर्त: 09:16 पीएम से 10:45 पीएम, देर रात 12:14 एएम से 01:43 एएम तक.

पूजा मंत्र
1. ओम श्रीं ह्नीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नमः
2. लक्ष्मी महा मंत्र: ओम श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा.
3. बीज मंत्र: ओम श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ओम महालक्ष्मी नम:.
पूजा विधि
महालक्ष्मी व्रत के पहले दिन माता लक्ष्मी की मूर्ति की स्थापना विधिपूर्वक करें. इस व्रत में माता लक्ष्मी की सुरहिया आकार वाली मूर्ति की पूजा होती है, लेकिन ऐसी मूर्ति न मिले तो धन वर्षा करती हुई माता लक्ष्मी की मूर्ति भगवान गणेश के साथ स्थापित करें. माता लक्ष्मी को लाल गुलाब, कमल का फूल, माला, कमलगट्टा, अक्षत्, कुमकुम, साड़ी, सिंदूर, चूड़ी, बिंदी, बिछिया, धूप, दीप आदि अर्पित करके पूजन करें.

इसके बाद एक गुलाबी या लाल रंग का धागा लेकर उसमें 16 गांठें लगा दें. फिर उसकी भी पूजा करें. मां महालक्ष्मी की पूजा 15 दिनों तक की जाएगी. 15वें दिन माता लक्ष्मी की पूजा के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए. महालक्ष्मी व्रत में आप महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ या फिर उनके मंत्रों का जाप करके लाभ ले सकते हैं.

महालक्ष्मी व्रत के अंतिम दिन माता लक्ष्मी की मूर्ति का विसर्जन कर दें या चाहें तो उसे पूजा घर में स्थापित करके प्रतिदिन पूजन कर सकते हैं. इस व्रत को करने से भक्तों पर पूरे वर्ष माता महालक्ष्मी का आशीर्वाद और कृपा बनी रहती है. धन, वैभव, सुख और समृद्धि में कोई कमी नहीं रहती. संतान सुख की भी प्राप्ति होती है.

प्रस्तुति: भूपेंद्र तिवारी

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