ABC NEWS: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यहां घोषणा की कि मणिपुर में सक्रिय और सबसे पुराने उग्रवादी गुट यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) ने हथियार डालने का फैसला किया है. संगठन ने बुधवार को सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए और हिंसा छोड़ने पर सहमति व्यक्त की. यह समझौता पूरे पूर्वोत्तर, विशेषकर मणिपुर में शांति के एक नए युग की शुरूआत को बढ़ावा देने वाला है. यूएनएलएफ मणिपुर में इंफाल घाटी स्थित सबसे पुराना सशस्त्र समूह है.
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, “एक ऐतिहासिक मील का पत्थर. पूर्वोत्तर में स्थायी शांति स्थापित करने के लिए मोदी सरकार के अथक प्रयासों ने पूर्ति का एक नया अध्याय जोड़ा है क्योंकि यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट ने आज नई दिल्ली में एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. मणिपुर का सबसे पुराना घाटी स्थित सशस्त्र समूह यूएनएलएफ, हिंसा छोड़ने और मुख्यधारा में शामिल होने के लिए सहमत हो गया है. मैं लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में उनका स्वागत करता हूं और शांति और प्रगति के पथ पर उनकी यात्रा के लिए शुभकामनाएं देता हूं.”
The peace agreement signed today with the UNLF by the Government of India and the Government of Manipur marks the end of a six-decade-long armed movement.
It is a landmark achievement in realising PM @narendramodi Ji’s vision of all-inclusive development and providing a better… pic.twitter.com/P2TUyfNqq1
— Amit Shah (@AmitShah) November 29, 2023
शाह ने आगे कहा कि भारत सरकार और मणिपुर सरकार द्वारा यूएनएलएफ के साथ शांति समझौता छह दशक लंबे सशस्त्र आंदोलन के अंत का प्रतीक है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के सर्वसमावेशी विकास के दृष्टिकोण को साकार करने और पूर्वोत्तर भारत में युवाओं को बेहतर भविष्य प्रदान करने की दिशा में यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है.”
उग्रवादी समूहों पर प्रतिबंध को लेकर ट्रिब्यूनल करेगी फैसला
हालांकि, इसके कुछ दिनों बाद 26 नवंबर को मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने घोषणा की कि राज्य सरकार यूएनएलएफ के साथ एक ऐतिहासिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने की कगार पर है. मंगलवार को, गृह मंत्रालय ने घोषणा की कि यह तय करने के लिए एक ट्रिब्यूनल का गठन किया गया है कि क्या मणिपुर के मैतेई उग्रवादी समूहों पर प्रतिबंध लागू करने के लिए पर्याप्त आधार है और क्या प्रतिबंध जारी रहना चाहिए. इस समिति में गौहाटी हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति संजय कुमार मेधी शामिल हैं. जो फैसला देंगे कि क्या समूहों को “गैरकानूनी संघ” घोषित करने और उन पर प्रतिबंध लगाने के लिए पर्याप्त कारण थे.
The UNLF peace agreement stands as a historic milestone, set to invigorate peace and progress in the North East. It reflects Hon HM Shri @AmitShah ji’s unwavering commitment to fostering complete stability in the region, guided by the leadership of Hon PM Shri @narendramodi ji. https://t.co/Ky5ZFtikAH
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) November 29, 2023
हिमंता बिस्वा सरमा ने केंद्र को दी बधाई
वहीं इसे लेकर असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने केंद्र सरकार को बधाई दी. उन्होंने एक्स पर पोस्ट में लिखा, “यूएनएलएफ शांति समझौता एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है, जो उत्तर पूर्व में शांति और प्रगति को बढ़ावा देने के लिए तैयार है. यह माननीय गृह मंत्री को दर्शाता है. माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व द्वारा निर्देशित, क्षेत्र में पूर्ण स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए ये अटूट प्रतिबद्धता है.