विघ्ननाशक और बुद्धि प्रदाता भगवान गणेश ऐसे दूर करेंगे घर का वास्तु दोष, बस ये 3 बातें रखें ध्यान

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ABC NEWS: देवी-देवताओं में भगवान गणेश न केवल प्रथम पूज्य हैं. गणेश जी विघ्ननाशक हैं और बुद्धि प्रदाता भी हैं. इनकी कृपा से घर के समस्त वास्तु दोषों का नाश हो जाता है. घर के मुख्य द्वार, पूजा स्थान, रसोई घर और कार्यस्थल के वास्तु दोष गणेश जी की मूर्ति से नष्ट हो सकते हैं. जरूरत है तो सिर्फ इनके सटीक प्रयोगों को समझने की. आइए गणेश जी के इन पवित्र दिनों में ऐसे ही कुछ विशेष प्रयोग जानते हैं.

ज्योतिष और वास्तु शास्त्र में भगवान गणेश की विभिन्न रंग की मूर्तियों का प्रयोग होता है. इन रंगों की अलग-अलग प्रतिमाएं घर के विशेष स्थानों में लगाने से वास्तु दोष का नाश होता है. कहते हैं कि गजानन की प्रतिमा वास्तु अनुसार सही दिशा में रकने से सारी समस्याएं और दोष नष्ट हो जाते हैं.

कैसे वास्तु दोष दूर करेंगे गणेश?

बच्चों के स्टडी रूम या पढ़ने की टेबल पर पीले या हल्के हरे रंग की गणेश जी की मूर्ति लगाएं. ढेर सारी गणेश जी की मूर्तियों का संग्रहण न करें. पूजा के स्थान पर पीले रंग की गणेश जी की प्रतिमा लगाएं. यदि घर में धन संबंधी समस्याएं हैं तो तिजोरी या पैसों के स्थान पर गणपति की श्वेत वर्ण यानी सफेद रंग की प्रतिमा रखें.

याद रखें कि घर में बैठे हुए गणेश जी और ऑफिस में खड़े हुए गणेश जी की प्रतिमा लगाने से वास्तु दोष दूर होता हैं. रोज प्रातः पूजा में गणेश जी को दूब अर्पित करें गणेश की प्रतिमा घर के मुख्य द्वार पर अंदर की तरफ लगाएं. एक स्थान पर केवल एक ही मूर्ति रखें. शयन कक्ष में भगवान की प्रतिमा बिल्कुल न रखें.

इस दिशा में रखें प्रतिमा

गणपति को घर के उत्तर पूर्वी कोने में स्थापित करना सबसे शुभ होता है. घर का उत्तर पूर्वी कोना पूजा-पाठ के लिए बेहतर रहता है. आप गणेश जी को घर के पूर्व या फिर पश्चिम दिशा में भी रख सकते हैं. मूर्ति रखते समय ध्यान दें कि भगवान के दोनों पैर जमीन को स्पर्श कर रहे हों. इससे सफलता आपके कदम चूमेगी. भगवान गणेश को कभी भी घर के दक्षिण में नहीं रखना चाहिए. घर में जिस तरफ भी पूजा घर हो वहां टॉयलेट या कोई भी गंदगी नहीं होनी चाहिए.

गणेश जी की स्थापना के नियम

गणेश जी की बहुत सारी मूर्तियां घर में न रखें. पूजा स्थान पर एक साथ गणेश जी की तीन मूर्तियां कभी भी न रखें. गणेश जी की वही प्रतिमा घर में स्थापित करें, जिसमें उनकी सूंड बाईं तरफ हो. मूर्ति की ऊंचाई बारह अंगुली से ज्यादा न हो तो बेहतर होगा. पीत वर्ण के गणपति सर्वोत्तम माने जाते हैं. गणेश जी को कभी भी तुलसी दल अर्पित न करें.

प्रस्तुति: भूपेंद्र तिवारी

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