ABC News: जून में भी कलकल बहती गंगा का जलस्तर मार्च में ही तेजी से गिरता जा रहा है. गंगा बैराज पर उन्नाव की तरफ नदी करीब 500 मीटर की चौड़ाई में ही बह रही है. इसका कारण नरौरा से कानपुर की ओर छोड़े जाने वाले पानी में कमी बताई जा रही है. कानपुर के गंगा बैराज से भी पानी पिछले 5 साल की तुलना में सबसे कम छोड़ा जा रहा है. आलम ये है कि घाटों से गंगा करीब 30 फीट तक दूर हो गई है.
गंगा का जलस्तर इस कदर कम हो गया है कि गंगा नदी में बीच धारा में टापू बन गए हैं. लोग नाव से पहुंच कर उन टापू में मौज-मस्ती कर रहे हैं. मार्च में ही डाउनस्ट्रीम में गंगा का जलस्तर 109.58 मीटर पर आ गया है. जो बीते 5 सालों की तुलना में सबसे कम है. लगातार कम होते जलस्तर की वजह से मई-जून में शहर की वाटर सप्लाई पर भी असर पड़ सकता है. सिंचाई विभाग के अधिकारी मानते हैं कि मार्च में ही पड़ रही तेज गर्मी के साथ, सिंचाई के लिए पीछे से पानी नहरों में डायवर्ट होने, कम बारिश होने के अलावा पहाड़ों में कम बर्फबारी, इसकी वजह मानी जा सकती है. कानपुर के अधिकारियों का कहना है कि चूंकि पीछे से पानी कम आ रहा है, इसलिए कानपुर शहर के लोगों की पानी की जरूरत को पूरा करने के लिहाज से बैराज से कम पानी छोड़ा जा रहा है. मौजूदा समय में गंगा बैराज से रोजाना 2800 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है. यह सामान्य दिनों के तकरीबन छह हजार क्यूसेक की तुलना में आधे से भी कम है.
पिछले कुछ साल के आंकड़ों की बात करें तो मार्च 2019 में 5361 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा था, जबकि मार्च 2020 में 7423 और मार्च 2022 में 6972 क्यूसेक पानी छोड़ा गया. हालांकि मार्च 2021 में भी कम पानी छोड़ा गया लेकिन तब भी वह 3299 क्यूसेक तक रहा था. जानकारों के मुताबिक अगर गंगा नदी में पानी का स्तर कम होता है तो इसका असर कानपुर शहर की पानी की सप्लाई पर पड़ सकता है. साथ ही गंगा के आसपास के क्षेत्रों में भूजल पर भी असर पड़ना तय है. बैराज निर्माण खंड के एक्सईएन पंकज गौतम ने बताया कि नरौरा से जितना पानी छोड़ा जाता है, उसके हिसाब से ही गंगा बैराज से पानी छोड़ते हैं. पिछले कुछ समय में पानी कम आ रहा है, लेकिन कानपुर की जरूरत के हिसाब से जल प्रबंधन किया जा रहा है. बता दें कि जलकल विभाग रोजाना गंगा से 20 करोड़ लीटर कच्चा पानी लेकर उससे करीब एक तिहाई शहर में वॉटर सप्लाई करता है.