ABC News: पीलीभीत के उदयकरनपुर गांव में मां से बिछड़कर दस दिन तक सड़ा मीट खाने वाली नन्हीं बाघिन लूना को कानपुर चिड़ियाघर शातिर शिकारी बनाएगा. इसके लिए रोजाना उसे शिकार करने के नए-नए पैंतरे सिखाए जाएंगे, ताकि वह हर माहौल में अपने से बड़े जानवर का भी आसानी से शिकार कर सके. इसके लिए चिड़ियाघर प्रबंधन ने विशेषज्ञोंं की मदद से खास ट्रेनिंग प्रोग्राम बनवाया है. जिसे चरणबद्ध तरीके से आने वाले समय में बाघ और तेंदुए के शावकों को भी सिखाया जाएगा.
शातिर शिकारी बनाने के लिए छह माह की लूना को सबसे पहले छिपे हुए शिकार को ढूंढना सिखाया जाएगा. इसके लिए उसे खाने में दिए जाने वाले मुर्गे और मीट को बाड़े के किसी कोने में छिपाया जाएगा. उसे इसकी महक सूंघकर ढूंढना होगा. ऐसा करने से वह अलग-अलग तरह के मीट को पहचानने लगेगी. दूसरे चरण में शावकों को पेड़ पर चढ़कर झपट्टा मारने की ट्रेनिंग दी जाएगी. इसके लिए उसके बाड़े में चार से पांच फीट उंचाई के वाई आकार के दो पेड़ के टुकड़े गाड़े जाएंगे. इनमें से एक पर मीट का टुकड़ा बांधा जाएगा. ऐसा करने पर झपट्टा मारकर जबड़े से मीट तोड़ने की कोशिश करेगी. जहां उसे कूदना सिखाने के लिए बाड़े में कुछ ऊंचाई पर जंजीर संग रस्सी बांधी जाएगी. इसके अलावा उसकी फुर्ती चेक करने के लिए चूजे और मुर्गे को छोड़ा जाएगा. चढ़ने और उतरने की ट्रेनिंग देने को मचान बनाई जाएगी. साथ ही खेलने के लिए लकड़ी की फुटबॉल दी जाएगी. पीआरओ विश्वजीत सिंह तोमर ने बताया कि इस तरह की ट्रेनिंग कीपर और डॉक्टरों की देखरेख में दी जाएगी. देश के कई चिड़ियाघरों में इस तरह की ट्रेनिंग दी जाती है. दिसंबर 2022 में लूना को कानपुर लाया गया था. अब वह बिलकुल स्वस्थ है.