ABC News: दो हजार के नोट को चलन से बाहर करने के फैसले के बाद कानपुर की बाजारों में मिलाजुली प्रतिक्रिया देखी गई. आरबीआई के फैसले को लेकर जहां कुछ व्यापारियों का मानना है कि इससे व्यापार और विपरीत प्रभाव देखा जाएगा, वहीं, तमाम ऐसे भी हैं, जो सरकार के इस फैसले से खुश हैं. बहरहाल,, आरबीआई के फैसले के बाद बाजारों में एक बार दो हजार के नोट के दर्शन होने लगे हैं.
दो हजार के नोट चलन से बाहर होने के फैसले के अगले दिन कानपुर की बाजारों में इसको लेकर सुबह से ही चर्चाएं होती रहीं. खासतौर पर व्यापारी वर्ग इसको लेकर काफी जानकारियां करता हुआ नजर आया. मार्केट में रोजाना की अपेक्षा शनिवार को दो हजार के नोटों की मात्रा भी ज्यादा दिखाई दी. नयागंज किराना बाजार में आए लोगों का कहना था कि पिछली बार हुई नोटबंदी का कोई फायदा नहीं मिला था, इस बार भी ऐसे फैसले से कुछ नहीं होगा.
कानपुर मुद्रा विनियम व्यापार के अध्यक्ष लाल सिंह का कहना है कि यह फैसला व्यापार के लिए घातक है. पिछली नोटबंदी से भी व्यापार को बहुत नुकसान पहुंचा था. इसके विपरीत प्रभाव जल्द ही दिखाई देंगे.
वहीं, भाजपा व्यापार प्रकोष्ठ के क्षेत्रीय संयोजक विनोद गुप्ता का कहना है कि इससे आम आदमी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा. जिन्होंने ब्लैक मनी के रूप में दो हजार के नोट जमा किए हैं, फर्क उन्हें पड़ेगा.
तेल व्यापारी प्रशांत गुप्ता का कहना है कि बाजार में दो हजार के नोट काफी समय से नहीं दिख रहे थे लेकिन जब से आरबीआई का फैसला आया है, तब से अधिक मात्रा में दो हजार के नोट दिख रहे हैं.
तेल कारोबारी जीएल विश्नोई भी कहते हैं कि इस फैसले से काला धन रखने वालों को ही परेशानी होगी,, लंबे समय से मार्केट में दो हजार का नोट नाम मात्र का ही आ रहा था.जब से आरबीआइ का फैसला आया है, उसके बाद से दो हजार के नोट की आवक बढ़ गई है.
यूपी किराना सेवा समिति के महामंत्री जगदीश कुमार अग्रवाल का कहना है कि दो हजार के नोट वापस लेने के फैसले का व्यापक असर मार्केट में देखा जाएगा. बाजार में व्यापारी दो हजार का नोट लेकर घूम रहा है लेकिन लेकिन इसे व्यापारी ले नहीं रहा है. उन्होंने कहा कि जब तक बैंक की तरफ से पूरा मामला साफ नहीं होता, तब तक व्यापारी दो हजार का नोट लेने के प्रति आशंकित है.
इसी तरह किराना व्यापारी विजय अग्रवाल ने कहा कि पहले दो हजार का नेाट शुरू करना और फिर उसे बंद करना सरकार की खराब नीति को दर्शाते हैं.
कांग्रेस नेता संदीप शुक्ल ने कहा कि बार बार मुद्रा को बंद करना किसी देश की साख पर असर डालते हैं, इससे वैश्विक स्तर पर रूपए की साख गिरती है. उन्होंने इसे मोदी सरकार का षणंयत्र बताते हुए कहा कि इससे आयात और निर्यात पर भी असर पड़ेगा.
रिपोर्ट: सुनील तिवारी