ABC News: कानपुर आफ्थेल्मिक सोसाइटी ने एक सीएमआई प्रोग्राम का आयोजन किया. इस प्रोग्राम में ग्लूकोमा और रेटिना की बीमारियों के बारे में नेत्र विशेषज्ञों को अपडेट किया गया.
सीएमई में दिल्ली के मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज से आए ग्लूकोमा विशेषज्ञ प्रो. डॉ. कीर्ति सिंह ने ग्लूकोमा आपरेशन की जानकारी दी. इस दौरान आने वाली जटिलताओं के बारे में बताया गया. संस्था की अध्यक्ष डॉ. प्रो. शालिनी मोहन ने ग्लूकोमा की डायग्नॉस्टिक के बारे में बताते हुए कहा कि आंखों प्रेशर की जाँच 4० वर्षों के बाद नियमित रूप से कराना चाहिए. जिनके परिवार में ग्लूकोमा की समस्या है उन्हें निश्चित तौर से ग्लूकोमा की जाँच करानी चाहिए क्योंकि यह बीमारी आनुवंशिक भी हो सकती है. इसके साथ आँखों की फ़ील्ड की जाँच भी ग्लूकोमा की डायग्नोसिस के लिए आवश्यक है और यह कम से कम साल में तीन ज़रूर हो जानी चाहिए. लखनऊ के विख्यात रेटिना सर्जन डॉ. शोभित चावला ने रेटिना के नवीनतम जांचें तथा उससे होने वाले फ़ायदे के बारे में बताया. कानपुर के रेटिना सर्जन डॉ. सुकांत पाण्डेय ने ऑंख की एंजियोग्राफी के बारे में बताया . कार्यक्रम के चेयरमैन डॉ. एम सी सक्सेना, डॉ. शरद बाजपेयी एवं डॉ. अतुल धवन रहे. संचालन डॉ. मनीष सक्सेना ने कियाण् इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से कानपुर नेत्र सोसाइटी के सेक्रेटरी डॉक्टर रूचिका अग्रवाल, डॉ. लोकेश अरोड़ा, डॉ.संगीता शुक्ला, डॉ. मोहित खत्री, डॉ. पारुल सिंह आदि मौजूद रहे.