ABC News: पितृपक्ष के अंतिम दिन सर्वपितृ अमावस्या को पितरों को विदाई दी गई. गंगा घाट किनारे उन पितरों को श्राद्ध व तर्पण किया गया, जिनकी साथ छोड़ने की तिथि ज्ञात नहीं थी. अंतिम दिन भूले बिसरे पितरों को भी तर्पण किया गया. वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पुरखों को जल अर्पित किया गया. श्रद्धालुओं ने गंगा किनारे केश भी अर्पित किए.
बिठूर से लेकर जाजमऊ तक घाट किनारे तर्पण देने को लोग पहुंचे. पुरोहितों ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पुरखों को प्रसन्न करने के लिए पूजा-अर्चना कराई. सरसैया घाट में गंगा की धारा में खड़े होकर लोगों ने पुरखों को जल अर्पित किया. घाट किनारे ही ब्राह्मणों को भोजन कराया गया. भोजन कराने के बाद दानपुण्य किया गया. मोक्ष अमावस्या पर मैस्कर, भैरव, भगवत दास, सिद्धनाथ समेत प्रमुख घाट किनारे पूर्वजों की आत्मा की शान्ति और मुक्ति के लिए आस्था का सैलाब उमड़ा. आसपास के जिलों से श्रद्धालु पूर्वजों का पिण्डदान और तर्पण करने पहुंचे. लोगों ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाकर अपने पूर्वजों की आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना की. पुरोहित उमाशंकर बाजपेई ने बताया की पितृ विसर्जन के दिन धरती पर आए पितरों को विदाई दी जाती है. इस दिन पितरों से भूल चूक की माफी मांगनी चाहिए. उन पितरों को भी इस दिन जल दे सकते हैं जिनकी तिथियां याद नहीं है.