Kanpur: विकास के साथ जैव विविधता का संरक्षण है जरूरी, आर्गेनिक फार्मिंग-सौर ऊर्जा भविष्य की जरूरत

News

ABC News: डीबीएस कॉलेज में शुरू हुए तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में सतत विकास और जैव विविधता के विभिन्न आयामों पर चर्चा की गई. सम्मेलन में आए बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. गिरीश चन्द्र त्रिपाठी ने कहा कि भारत में लिंगानुपात बेहतर करने के साथ गरीबी और भुखमरी को दूर करने के लिए युद्धस्तर पर कार्य करने होंगे. इसको लेकर युनाइटेड नेशन ने भी साल 2030 तक लक्ष्य निर्धारित किया है.

उन्होंने कहा कि भारत जैसे बड़ी जनसंख्या वाले और विकासशील देश के सामने सतत विकास और जैव विविधता का संरक्षण एक बड़ी चुनौती है. इससे निपटने के लिए न केवल लिंगानुपात बेहतर करना जरूरी है बल्कि गरीबी और भुखमरी को लेकर तेजी से कार्य करने की जरूरत है. डीबीएस कॉलेज के जन्तु एवं वनस्पति विभाग की तरफ से आयोजित इस सम्मेलन में विशिष्ट अतिथि लोक सेवा आयोग के सदस्य प्रो. आरएन त्रिपाठी ने कहा कि सतत विकास के लिए प्रायोगिक दृष्टिकोण और जैव विविधता संरक्षण को जानना बहुत जरूरी है. उन्होंने बताया कि विकास, जो वर्तमान की जरूरतों को पूरा करता है और क्षमताओं को परखकर उसे भावी पीढ़ी के लिए पूरा करने के लिए समझौता किए बिना खुद की जरूरतें समझता है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण है अमेरिका है.

उन्होंने कहा कि अमेरिका में साल 2011 के बाद आर्गेनिक फार्मिंग में तेजी आयी और करीब 56 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई. अमेरिका में पहले मशीनों के द्वारा निर्मित काफी ज्यादा प्रोसेस्ड खाना, वहां के लोग खाने में प्रयोग करते थे, जिसकी वजह से मोटापा जैसी समस्या ने काफी बड़ा रूप ले लिया. इससे निपटने के लिए वहां पर वैकल्पिक मानक तैयार किए गए और वहां के किसानों के द्वारा आर्गेनिक फार्मिंग और प्रायोजित रूप से कम्युनिटी एग्रीकल्चर और किसान बाजार की तरफ अधिक ध्यान दिया जाने लगा. इसका असर यह हुआ कि साल 2016 के अंत तक 14 हजार प्रमाणित ऑर्गेनिक फार्म विकसित हो चुके थे. इससे खानपान में भी बदलाव आया और लोगों पर भी इसका असर दिखाई दिया.

अपने अध्यक्षीय संबोधन में प्रबंध समिति के सचिव गौरवेंद्र स्वरूप ने दयानंद शिक्षा संस्थान के इतिहास के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि दयानंद शिक्षा संस्थान ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी बाजपेयी जैसी विभूतियां देश को दी हैं. वहीं, डीबीएस कॉलेज के प्राचार्य प्रो. अनिल कुमार मिश्र ने कहा कि पृथ्वी के पास जरूरत के लिए पर्याप्त है लेकिन लालच के लिए नहीं.

कार्यक्रम संयोजक प्रो. इंद्राणी दुबे ने कहा कि भारत सहित दुनिया में किसी भी देश के लिए आवश्यक है कि प्राकृतिक स्रोतों जैसे ऊर्जा, पानी, पेड़-पौधे, पेट्रोलियम पदार्थों का आवश्यकतानुसार ही उपभोग किया जाए. उन्होंने सौर ऊर्जा का अधिक से अधिक प्रयोग किए जाने पर जोर देते हुए कहा कि इससे भविष्य में सकारात्मक परिणाम दिखाई देंगे. उन्होंने कहा कि प्रयास इस तरह किए जाएं, इससे कि बिजली, सूर्य से प्राप्त ऊर्जा हमारी पहुँच में हो, हर व्यक्ति को न्याय मिल सके, अच्छे कार्य तथा आर्थिक विकास हो सके. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि एक धनी व्यक्ति यदि आवश्यकता से अधिक धन का व्यय कर रहा है तो उसके इस कदम से भविष्य में उसके परिवार के अन्य सदस्यों के लिए पर्याप्त धन नहीं रहेगा, जिससे उन्हें आर्थिक संकट का सामना करना पडे़गा. इसलिए धन संचय भी आवश्यक है जिससे वर्तमान के साथ भविष्य भी सुरक्षित रह सके. सम्मेलन में लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रो. एस.पी. त्रिवेदी, डॉ. सुनील कुमार श्रीवास्तव आदि ने भी विचार रखे.


रिपोर्टः सुनील तिवारी

खबरों से जुड़े लेटेस्ट अपडेट लगातार हासिल करने के लिए आप हमें  Facebook, Twitter, Instagram पर भी ज्वॉइन कर सकते हैं … Facebook-ABC News 24 x 7 , Twitter- Abcnews.media Instagramwww.abcnews.media

You can watch us on :  SITI-85,  DEN-157,  DIGIWAY-157


For more news you can login- www.abcnews.media