Kanpur: पुलिस कमिश्नर के दफ्तर पहुंचे भाजपाई, विरोध जताकर उठाए ऐसे सवाल

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ABC News: (रिपोर्ट: सुनील तिवारी) दवा व्यापारी से मारपीट के मामले में बुधवार को दिन भर घटनाक्रम तेजी से बदलता रहा. इस मामले में सुबह जहां सबसे पहले दवा व्यापारी से मारपीट के आरोपी भाजपा पार्षद के पति और उनके सहयोगियों पर 25-25 हजार का इनाम घोषित किया गया, वहीं, सिख समुदाय की तरफ से न्याय संघर्ष समिति गठित हो गई. इस बीच, पार्षद सौम्या शुक्ला ने वीडियो जारी किया तो शाम होते-होते दर्जनो भाजपा नेता पुलिस कमिश्नर कार्यालय पहुंच गए.

सुरक्षा के भारी बंदोबस्त के बीच भाजपा नेताओं की पुलिस कमिश्नर से बातचीत में हुई. इस बातचीत में भाजपा नेताओं ने कहा कि यह एक सामान्य मारपीट की घटना थी, जिसे साजिशन धार्मिक रंग दे दिया गया है. उन्होंने मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है. इसके साथ ही दूसरे पक्ष से एफआईआर न ​लिखे जाने पर भी विरोध जताया.

देर शाम पुलिस कमिश्नर डॉ. आरके स्वर्णकार से भाजपा नेता राकेश तिवारी, चंद्रेश सिंह, शानू शर्मा, व्यापारी नेता शेष नारायण त्रिवेदी, विनोद गुप्ता समेत कई पार्षदों ने मुलाकात की. इस मुलाकात के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने पुलिस कमिश्नर के सामने कई बातें रखीं. भाजपा नेताओं ने कहा कि यह एक सामान्य मारपीट की घटना थी लेकिन विरोधी पार्टी के कुछ लोगों ने पूरे मामले को धार्मिक रंग दे दिया. उन्होंने कहा कि घटना वाली रात पुलिस ने जिसे आरोपी बनाया है, उसकी तरफ से पुलिस को सूचना दी गई थी. रायपुरवा पुलिस को एफआईआर लिखने के लिए प्रार्थना पत्र भी दिया गया था लेकिन पुलिस ने उनके प्रार्थना पत्र पर एफआईआर नहीं दर्ज की जबकि दूसरे पक्ष की एफआईआर लिख ली. भाजपा नेताओं ने पार्षद सौम्या शुक्ला के साथ भी अभद्रता किए जाने के आरोप लगाए. इसके अलावा पुलिस की तरफ से आरोपियों पर घोषित किए गए इनाम को लेकर भी आपत्ति जताई गई.

उन्होंने कहा कि पुलिस ने बगैर किसी जांच के संगीन धाराओं को जोड़ने के साथ इनाम घोषित कर दिया. इसके अलावा कांशीराम अस्पताल से किस तरह पीड़ित दवा व्यापारी को दिल्ली के ​सर गंगाराम अस्पताल में रेफर किया गया, इसको लेकर भी सवाल खड़े किए. विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना के सचिव शानू शर्मा ने कहा कि आखिरकार दवा व्यापारी को किसने दिल्ली के लिए रेफर किया, इसकी भी जांच होनी चाहिए. यहां पर भाजपा नेताओं ने कहा कि पूरी घटना की निष्पक्षता से जांच होनी चाहिए, इसमें जो भी दोषी होगी, उसके खिलाफ एक्शन पर उन्हें आपत्ति नहीं है. अगर पार्षद पति दोषी है, तो कानून के अनुसार जो कार्रवाई बनती है, उस पर की जाए. इस पर पुलिस कमिश्नर ने निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया.

ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर आनंद प्रकाश तिवारी ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल ने जो बातें कहीं हैं, उसे सुना गया है. उन्होेंने बताया कि इस मामले में मेडिकोलीगर ओपीनियन सबसे महत्वपूर्ण है. उन्होंने बताया कि पुलिस उच्च कोटि के मेडिकल एक्सपर्ट से इस मामले में राय लेगी. पूरे मामले में कांशीराम अस्पताल के साथ दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के डॉक्टरों का बयान लिया गया है. इसके अलावा स्मार्ट सिटी के दो कैमरे पूरी घटना के गवाह हैं. विवेचना में इसके फुटेज शामिल किए जाएंगे. संयुक्त पुलिस आयुक्त ने कहा कि इस मामले में घटना के समय वहां जो राहगीर मौजूद थे, उन्हें भी चिंहित कर उनके बयान लिए जाएंगे. उन्होंने कहा कि पूरे मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच होगी. पुलिस किसी के पक्ष या विपक्ष में काम नहीं करती है.


 

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