ABC News: (रिपोर्ट: सुनील तिवारी) भाजपा में जो सबसे ज्यादा चर्चा में रहता है, उसे ऐन मौके पर नुकसान उठाना पड़ जाता है. कुछ ऐसा ही उदाहरण एक बार फिर से महापौर प्रत्याशी के ऐलान को लेकर देखने को मिला. तमाम कयासों और चर्चाओं को किनारे करते हुए भाजपा ने एक बार फिर से महापौर प्रत्याशी के रूप में प्रमिला पांडेय पर भरोसा जताया है. सरला सिंह के बाद प्रमिला पांडेय ऐसी दूसरी मेयर हैं, जिन्हें लगातार दूसरी बार भाजपा ने महापौर पद के लिए टिकट दिया है.
भाजपा में इस बार महापौर पद के लिए कई महिला नेताओं का नाम चर्चा में चल रहा था. इसमें से कई चेहरों ने नामांकन पत्र भी खरीद लिया था. इन सबमें सबसे ज्यादा चर्चा अगर किसी नाम को लेकर हो रही थी, वह नीतू सिंह थीं. सांसद सत्यदेव पचौरी की पुत्री और संघ में बड़ी भूमिका का निर्वाह करने वाले वीरेंद्र जीत सिंह की पुत्रवधू नीतू सिंह का नाम सोशल मीडिया में काफी तेजी से चला. यहां तक कि उनका टिकट फाइनल होने से लेकर नामांकन जुलूस को लेकर लोगों ने सोशल मीडिया में पोस्टर तक डाल दिए. इसको लेकर एफआइआर तक करानी पड़ गई. रविवार को भी सोशल मीडिया में नीतू सिंह ही छायी रहीं. भाजपा से जुड़े सूत्र बताते हैं कि इस बार नीतू सिंह, काफी मजबूत चेहरा थीं लेकिन दूसरे खेमे की तरफ से कई बातों को हाईकमान के समक्ष रखा गया. नीतू सिंह के टिकट को लेकर उनके पिता भी जोर लगाए थे जबकि दूसरा खेमा अपना जोर लगाए था. लखनउ में लंबे चले मंथन का ही असर रहा कि भाजपा ने महापौर से पहले पार्षद पद के प्रत्याशियों की सूची को जारी कर दिया. इसके बाद महापौर पद को लेकर उधेड़बुन और तेज हो गई. देर रात सारे कयासों और संभावनाओं को दरकिनार करते हुए भाजपा ने प्रमिला पांडेय को फिर से महापौर पद का प्रत्याशी घोषित कर लिया. प्रमिला पांडेय के बारे में कहा जाता है कि वह विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना के खेमे से आती हैं. उनकी दावेदारी को लेकर सतीश महाना भी सहमत नजर आ रहे थे. इसके अलावा ब्राह्मण चेहरे के रूप में भी उनकी पहचान है. बता दें कि कांग्रेस और सपा ने भी ब्राह्मण चेहरों को ही टिकट दिया है.
सरला सिंह के बाद प्रमिला पांडेय पर विश्वास
प्रमिला पांडेय, कानपुर में भाजपा की ऐसी दूसरी महापौर पद की प्रत्याशी हैं, जिन्हें निकाय चुनाव में लगातार दो बार मौका दिया गया है. इसके पहले सरला सिंह जब मेयर बनी थीं और पांच साल का कार्यकाल पूरा किया था, तब उन्हें भी दोबारा भाजपा ने टिकट दिया था, हालांकि, वह कांग्रेस के तत्कालीन प्रत्याशी अनिल शर्मा से हार गई थीं. सरला सिंह के बाद अब प्रमिला पांडेय पर भाजपा ने फिर से भरोसा जताया है.
कलह से बचने को उठाया कदम
भाजपा के गलियारों में चर्चा इस बात की है कि इस बार महापौर प्रत्याशी को लेकर कई चेहरे पूरी मजबूती के साथ दम भर रहे थे. इसको लेकर आंतरिक गुटबाजी बढ़ने की चर्चाएं थीं. प्रमिला पांडेय के टिकट के पीछे जानकार यही कह रहे हैं कि वह पार्टी की साधारण कार्यकर्ता से महापौर पद तक पहुंचीं. उनके दोबारा टिकट के पीछे किसी तरह का विरोध भी नहीं दिख रहा था. इसके अलावा, कानपुर में ब्राह्मण वोट बैंक की भूमिका को देखते हुए भी नेतृत्व को प्रमिला पांडेय ही उपयुक्त लगीं. यही वजह रही कि लंबे मंथन के बाद आखिर में प्रमिला पांडेय सब पर भारी पड़ी और दोबारा टिकट हासिल कर पायीं.