उदयातिथि में आज मनाई जा रही जन्माष्टमी: सुबह में पूजा के हैं 4 शुभ मुहूर्त, जानें मंत्र और आरती

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ABC NEWS: जन्माष्टमी का महापर्व आज 7 सितंबर गुरुवार को भी मनाया जा रहा है. कल 6 सितंबर को अष्टमी और रोहिणी नक्षत्र के संयोग में जन्माष्टमी मनाई गई थी. जो लोग आज जन्माष्टमी का व्रत हैं, उन लोगों को आज भगवान लड्डू गोपाल जी की पूजा के शुभ मुहूर्त के बारे में जान लेना चाहिए. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव के अनुसार, आज भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि शाम 04 बजकर 14 मिनट तक है और रोहिणी नक्षत्र सुबह 10 बजकर 25 मिनट तक है. ऐसे में आप अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के संयोग यानि सुबह 10 बजकर 25 मिनट तक पूजा कर लें या​ फिर अष्टमी तिथि के समापन पूर्व तक पूजा कर लें. आइए जानते हैं जन्माष्टमी पूजा मुहूर्त, मंत्र और आरती के बारे में.

जन्माष्टमी 2023 तिथि और रोहिणी नक्षत्र का समय
भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि: आज, शाम 04:14 पी एम तक
रोहिणी नक्षत्र: आज, सुबह 10:25 ए एम तक
वज्र योग: प्रात:काल से लेकर रात 10:02 पी एम तक, उसके बाद से सिद्धि योग है.

जन्माष्टमी 2023 पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?
आज उदयातिथि की जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि तक पूजा के लिए 4 शुभ मुहूर्त प्राप्त हो रहे हैं. अष्टमी के बाद नवमी तिथि में पूजा के लिए 3 मुहूर्त हैं. ये सभी आज के शुभ चौघड़ियां मुहूर्त पर आधारित हैं. आइए देखते हैं जन्माष्टमी पूजा मुहूर्त.

अष्टमी तिथि में जन्माष्टमी पूजा मुहूर्त
शुभ-उत्तम मुहूर्त: सुबह 06:02 ए एम से सुबह 07:36 ए एम तक
चर-सामान्य मुहूर्त: सुबह 10:45 ए एम से दोपहर 12:19 पी एम तक
लाभ-उन्नति मुहूर्त: दोपहर 12:19 पी एम से दोपहर 01:53 पी एम तक
अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त: दोपहर 01:53 पी एम से दोपहर 03:28 पी एम तक

नवमी तिथि में जन्माष्टमी पूजा मुहूर्त
शुभ-उत्तम मुहूर्त: 05:02 पी एम से 06:36 पी एम
अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त: 06:36 पी एम से 08:02 पी एम
चर-सामान्य मुहूर्त: 08:02 पी एम से 09:28 पी एम

जन्माष्टमी 2023 पूजा मंत्र
ध्यान मंत्र: ओम नारायणाय नमः, अच्युताय नमः, अनन्ताय नमः, वासुदेवाय नमः.
पूजा मंत्र: ओम नमो भगवते वासुदेवाय. ओम कृष्णाय वासुदेवाय गोविंदाय नमो नमः.

जन्माष्टमी 2023: भगवान श्रीकृष्ण की आरती
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की,
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।

गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला,
श्रवण में कुंडल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला।

गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली,
लटन में ठाढ़े बनमाली भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक।

चंद्र सी झलक, ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की, आरती कुंजबिहारी की।

कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं,
गगन सों सुमन रासि बरसै, बजे मुरचंग।

मधुर मिरदंग ग्वालिन संग, अतुल रति गोप कुमारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की, आरती कुंजबिहारी की।

जटा के बीच, हरै अघ कीच, चरन छवि श्रीबनवारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की, आरती कुंजबिहारी की।

चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू,
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू।

हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद,
कटत भव फंद, टेर सुन दीन दुखारी की।

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की, आरती कुंजबिहारी की।
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की, आरती कुंजबिहारी की।।

प्रस्तुति: भूपेंद्र तिवारी

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