वास्तुकला की बेजोड़ मिसाल है जैसलमेर का “राजकुमारी रत्नावती गर्ल्स स्कूल”

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ABC : ( पूजा वर्मा ) वैसे तो हमारे देश में बहुत से एक से बढ़कर एक स्कूल मौजूद हैं, लेकिन थार रेगिस्‍तान के बीच लड़कियों के लिए एक स्‍कूल शुरू किया गया है. ये स्कूल अपने आप में ही बेहद अनोखा है. राजस्‍थान के जैसलमेर में स्‍कूल शानदार आर्किटेक्‍चर का बेहतरीन नमूना है. देखने में ये स्‍कूल राजस्‍थान के किसी शाही महल के जैसा नजर आता है. ये स्कूल अपने डिजाइन और अपनी यूनिफॉर्म की वजह से चर्चा में है. इस स्कूल का नाम है राजकुमारी रत्नावती गर्ल्स स्कूल है, जो कि राजस्थान के जैसलमेर जिले के कनोई गांव में बना हुआ है. दूर-दूर तक रेत ही रेत और भयंकर गर्मी के बावजूद, यहां बच्चे हंसते-खेलते पढ़ाई करने आते है.

CITTA की एक पहल 
ये स्कूल अमेरिका के नॉन-प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन CITTA की एक पहल है. ये संगठन लड़कियों को शिक्षा दिलाने के लिए काम करता है. आर्किटेक्ट डायना केलॉग ने इस स्कूल को और डिजाइन किया हैं.

मशहूर डिज़ाइनर सब्यासाची मुखर्जी ने डिजाइन की यूनिफार्म 
बच्चों की यूनिफॉर्म को फेमस फैशन डिजाइनर सब्यासाची मुखर्जी ने डिजाइन किया है. सब्यसाची ने इन यूनिफॉर्म का नाम ‘अजरख’ रखा है. यह यूनिफॉर्म घुटनों तक लंबी एक फ्रॉक है जिसमें राउंड नेक और थ्री क्वार्टर स्लीव के साथ मैरून स्लेग्स शामिल है. इसमें दो पैच पॉकेट्स भी हैं.

वास्तुकला की बेजोड़ मिसाल-
रेगिस्तान के बीच बसा ये स्कूल वास्तुकला की बेजोड़ मिसाल है. भले ही यह बाहर तापमान 50 डिग्री तक पहुंच जाए, लेकिन फि भी स्कूल में तापमान आरामदायक रहता है. बिना AC के भी यहां तापमान में एकदम ठंडा बना रहता है. दरअसल, इस स्कूल की दीवारों को जालीदार और छतों को हवादार बनाया गया है. स्कूल को पीले बलुआ पत्थर से बनाया गया है और इसे अंडाकार डिजाइन दिया गया है. स्कूल में बिजली की जरूरत को सौर ऊर्जा के जरिए पूरा किया जाता है. रेगिस्तान के बीचों बीच बसा ये स्कूल 22 बीघा जमीन में फैला है, जिसे सूर्यग्रह पैलेस होटल के मालिक मानवेंद्र सिंह शेखावत ने दिया है. वहीं, इस स्कूल को तैयार करने के लिए जैसलमेर के शाही परिवार के चैतन्य राज सिंह और राजेश्वरी राज्य लक्ष्मी ने भी सहयोग दिया है.

लड़कियों की पढ़ाई के लिए नहीं ली जाती है फीस-
स्कूल को गर्ल्स एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है, जहां लड़कियों की पढ़ाई के लिए कोई फीस नहीं ली जाती है. इसके अलावा बच्चों को यह खाना भी दिया जाता है. इसके अलावा अंग्रेजी और कंप्यूटर शिक्षा पर भी अधिक ध्यान दिया जा रहा है. राजस्थान में महिलाओं की साक्षरता दर महज 32% है. ऐसे में जैसलमेर के कनोई गाँव का यह स्कूल साक्षरता दर को बढ़ाने का एक प्रयास है और लड़कियों को आगे बढ़ने की एक नई उमंग दे रहा है.

महिला सशक्तिकरण का प्रतीक
इस स्कूल में ‘ज्ञान केंद्र’ नाम के इस हिस्से में, गरीबी रेखा से नीचे आनेवाले परिवारों की बच्चियों को फ्री शिक्षा प्रदान की जाती है. यहां किंडरगार्टन से लेकर10वीं कक्षा तक की 400 छात्राएं पढ़ती हैं. परफॉर्मेंस और प्रदर्शनी वाले हिस्‍से को मेधा कहा जाता है. इसके अलावा इसमें एक लाइब्रेरी और म्‍यूजियम का अलग हिस्‍सा है. परिसर में एक कपड़ा संग्रहालय और परफॉर्मेंस हॉल भी है. इसके अलावा, इसी इमारत के एक हिस्से में महिलाओं को पारंपरिक कलाओं, जैसे-बुनाई और वस्त्रों में प्रशिक्षित किया जाएगा, ताकि खो रहे हस्तशिल्प को संरक्षित किया जा सके, यह स्कूल महिला सशक्तिकरण का प्रतीक है.

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