इरफान सोलंकी की पत्नी ने अखिलेश यादव का कानपुर मेयर चुनाव लड़ने का ऑफर ठुकराया

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ABC NEWS: महराजगंज की जेल में बंद कानपुर के सपा विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी ने कानपुर मेयर का चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है. पूर्व सीएम और सपा अध्यक्ष अखिलेश सिंह यादव ने खुद उन्हें चुनाव लड़ने का ऑफर दिया था. इससे पहले नसीम ने अपने पति से जेल में मुलाकात की. इसके बाद उन्होंने अपने पति के विधानसभा क्षेत्र सीतामऊ से 14 वार्डों के संभावित प्रत्याशियों की सूची अखिलेश को सौंप दी.

नसीम का कहना है कि पार्टी अध्यक्ष अखिलेश ने मेरे सभी प्रत्याशियों को मंजूरी दे दी है. उन्होंने मेरे लिए  कानपुर से मेयर का चुनाव लड़ने का ऑफर दिया था, लेकिन मेरे पति इस समय जेल से बाहर नहीं है, इसलिए मैंने अखिलेशजी से कहा- अगर वह बाहर होते तो ठीक होता. अभी मेरी स्थिति ठीक नहीं है. मैं पार्टी के साथ हूं. इस लड़ाई में मैं पार्टी को सपोर्ट करूंगी. परिवार मानसिक तनाव से गुजर रहा है. परिवार पहले इरफान सोलंकी की सलामती चाहता है.

इस पर अखिलेश यादव ने उन्हें फैसले पर एक बार फिर से विचार कर शाम तक जवाब देने के लिए कहा था. इस पर नसीम ने कहा कि वह परिजनों से बात करके बताएंगी. हालांकि बाद में भी उन्होंने चुनाव न लड़ने की की बात कही. वैसे नसीम सोलंकी के बाद अब मेयर पद के दावेदारों में नीलम रोमिला सिंह, विधायक अमिताभ वाजपेयी की पत्नी वंदना वाजपेयी, रीता जितेंद्र बहादुर और अपर्णा जैन का नाम सबसे ऊपर चल रहा है.

4 मई और 11 मई को होगी वोटिंग
राज्य निर्वाचन आयुक्त मनोज कुमार ने 9 अप्रैल को यूपी नगरीय निकाय चुनाव की तारीखों का ऐलान किया था. 760 निकायों में होने वाला यह चुनाव दो चरणों में होगा. पहला चुनाव 4 मई और दूसरा 11 मई को होगा. इसके बाद 13 मई को वोटों की काउंटिंग होगी. यह चुनाव 17 नगर निगम, 199 नगर पालिका परिषद और 544 नगर पंचायतों में 14684 सीटों पर कराया जाएगा.

जेल में क्यों बंद हैं इरफान सोलंकी
जाजमऊ डिफेंस कॉलोनी निवासी नजीर फातिमा का 6 नवंबर 2022 को प्लॉट में बने अस्थाई मकान में आग लग गई थी. फातिमा ने सपा विधायक इरफान सोलंकी और उनके भाई रिजवान सोलंकी समेत अन्य के खिलाफ घर फूंकने का आरोप लगाते हुए थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी.

मामले की जांच कर रही पुलिस ने सपा विधायक और उनके भाई के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. इसके साथ फास्ट ट्रैक कोर्ट में मामले की सुनवाई के लिए शासन में अपील की थी. अब इस मामले में 24 फरवरी से ट्रायल चल रहा है. हाई कोर्ट के प्रावधान के तहत फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलने वाले मुकदमों में 6 महीने में फैसला आ जाना चाहिए.

अगर मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में हुई और इरफान को सजा हुई, तो उनकी विधायकी 6 महीने में जाना तय होगा, क्योंकि इस केस में सजा का प्रावधान 3 साल से लेकर 10 साल तक का है. नियम है कि किसी विधायक को 2 साल के ऊपर सजा होती है, तो उसे विधायकी गंवानी पड़ती है.

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