ABC NEWS: अलीगढ़ के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. जहां शादी के 50 साल होने के बाद पति-पत्नी ने अलग होने का निर्णय लिया. परिवार न्यायालय ने इस रिश्ते को बचाने की पूरी कोशिश की पर दोनों अलग होने पर अड़े रहे. इसके बाद कोर्ट ने बुजुर्ग पति को अपनी पत्नी को 15 हजार रुपये मासिक भत्ता देने आदेश दिया.
अधिवक्ता योगेश सारस्वत ने बताया कि बन्नादेवी थाना इलाके के रिसाल नगर निवासी गायत्री देवी ने 2018 में अपने पति मुनेश गुप्ता के खिलाफ अदालत में वाद दायर किया था. जिसमें उनके द्वारा ये बताया गया था कि 1972 में 25 मई को दोनों की शादी हुई थी.
‘पति के व्यवहार में आ गया बदलाव’
इसके बाद उनकी 3 बेटी व दो बेटे पैदा हुए. लेकिन अब पति के व्यवहार में बदलाव आ गया है. काफी समय तक वह अपने पति के इस दुर्व्यवहार को सहती रहीं. लेकिन हद हो गई जब पति ने घर में उनको अलग थलग कर दिया. 2017 में एक कमरा देकर अलग रहने लगे.
अलीगढ़ के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में स्थित परिवार न्यायालय में यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है. शादी के 5 दशक बाद अलीगढ़ में एक बुजुर्ग दंपती ने अलग होने का निर्णय लिया है. ऐसा कहा जाता है कि जीवन के अंतिम पड़ाव में रिश्तों की डोर मजबूत हो जाती है. लेकिन यहां उसके उलट ही देखने को मिला. जहां शादी के 50 होने के बाद पति-पत्नी ने अलग होने का निर्णय लिया.
पति के व्यवाहर में बदलाव के चलते पत्नी ने कोर्ट में दी थी अर्जी
परिवार न्यायालय ने इस रिश्ते को बचाने की पूरी कोशिश की. लेकिन दोनो ने अलग रहने का निर्यण लिया. अधिवक्ता योगेश सारस्वत ने बताया कि 1972 में 25 मई को दोनों की शादी हुई थी. दोनों से ही परिवार में 3 बेटी व दो बेटे पैदा हुए. लेकिन अब पति के व्यवहार में बदलाव आ गया है. काफी समय तक वह अपने पति के इस दुर्व्यवहार को सहती रहीं. लेकिन हद तब हो गई जब पति ने घर में उनको अलग थलग कर दिया. 2017 में एक कमरा अलग देकर उनसे अलग होकर रहने लगे.
बुजुर्ग पति को पत्नी के गुजारा भत्ता के लिए देने होंगे 15 हजार रुपये
बीमारी में अपनी दवा सहित अन्य खर्चों के लिए उन्हें अपने बेटों से मदद लेनी पड़ी. पति मुनेश गुप्ता स्वास्थ्य विभाग से रिटायर्ड हैं, जिनकी पेंशन आती है. उसमें से उन्हें जीवन यापन के लिए 15 हजार रुपये मासिक गुजारा भत्ता दिलाया जाए. परिवार न्यायालय ने पति-पत्नी की काउंसलिंग भी की पर बात नहीं बनी. जज ज्योति सिंह की अदालत ने अपना निर्णय सुनाते हुए दोनों के अलग रहने पर सहमति दी. पति को 15 हजार रुपये प्रतिमाह अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता दिए जाने का निर्णय दिया है.