ABC NEWS: कानपुर शहर में छठ पूजा को लेकर घरों में तैयारियां शुरू हो गई हैं, मगर अभी भी ज्यादातर घाट गंदगी से पटे पड़े हैं. सीटीआई नहर के घाट पर स्थिति ऐसी है कि बैठना तो दूर खड़ा होना भी यहां मुश्किल है. दुर्गंध और कचरे का अंबार फैला है. नगर निगम के इंजीनियरों की लापरवाही साफ नजर आ रही है. इसे लेकर यूपी के पूर्वांचल और बिहार से यहां आकर बसे लोगों में खासा आक्रोश है. गुरुवार को महापौर प्रमिला पांडेय ने छठ घाटों का निरीक्षण किया, जहां गंदगी मिली.
नगर निगम का ज्यादा जोर पनकी और अर्मापुर नहर के घाटों पर है. वहां की साफ-सफाई करने में युद्ध स्तर पर टीमें लगी हैं, मगर दक्षिण के इलाकों में सीटीआई, गुजैनी, दबौली और साकेत नगर जैसे इलाकों के घाट अभी तक गंदगी से लबरेज हैं. सबसे बड़ी समस्या यह है कि लोग बेदियां कहां बनाएं. साकेत नगर नहर के सामने वाले घाट पर लोगों ने बेदियां तो बना दी हैं, मगर पानी में उतरने लायक स्थिति नहीं है. इतनी काई और गंदगी जमा है कि जब तक इसकी सफाई नहीं होती और नहर में पानी नहीं छोड़ा जाता तब तक पानी में उतरकर सूर्य देव को अर्घ्य देना मुश्किल होगा. सिंचाई विभाग ने अभी तक नहर में पानी नहीं छोड़ा है. इससे स्थिति और गंभीर हो गई है.
ऐन मौके पर जागे नगर निगम के इंजीनियर
नगर निगम के इंजीनियरों को पहले से पता है कि दीपावली 15-20 दिन पहले से ही छठ पूजा की तैयारियां शुरू हो जाती हैं. घाटों की सफाई का काम एक माह पहले शुरू होता है. मगर लापरवाही ऐसी रही कि सिर्फ पनकी और अर्मापुर समेत तीन-चार घाटों को ज्यादा गंभीरता से लिया. इस मामले में छावनी परिषद ने अपने इलाके के गंगा घाटों की सफाई में ज्यादा तेजी दिखाई. अपने शहर में दक्षिण के इलाके में सबसे ज्यादा पूर्वांचल और बिहार के लोग रहते हैं, यह जानते हुए भी उन इलाकों पर नगर निगम ने ज्यादा गंभीरता नहीं दिखाई.
समितियों के लोगों साफ की बेदियां
छठ पूजा समितियों के कार्यकर्ताओं ने घाटों पर बेदियों की सफाई की. केंद्रीय छठ पूजा समिति के कार्यकर्ताओं ने घाटों पर झाड़ू लगाने के साथ गंगाजल से बेदियों को धोया. समिति के अध्यक्ष संतोष गहमरी ने बताया कि घाटों पर अभी भी गंदगी है. लाइटिंग व्यवस्था भी नहीं की गई. क्षतिग्रस्त सड़कों का पैचवर्क तक नहीं किया गया. बेदियों को साफ करने वाले में डॉ. आनंद झा, अमित, अरविंद सिंह, प्रभात पाल, मुन्ना चौहान, रंगबहादुर, सरजू सिंह और बिल्लू ठाकुर आदि मौजूद रहे.