कानपुर में गंगामेला पर होली जैसी उमंग और तरंग, हुड़दंगियों के उल्लास ने बिखेरी सप्तरंगी छठा

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ABC NEWS: होली पर्व के बाद पड़ने वाले अनुराधा नक्षत्र में होने वाले ऐतिहासिक गंगा मेला का पर्व आज कानपुर शहर में बड़ा ही धूमधाम के साथ मनाया गया. कानपुर अपनी अनूठी एवं महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओं के लिए पूरे देश में एक अलग महत्व है. गंगा मेला के पर्व के अवसर पर हटिया स्थित रज्जन पार्क में आज सुबह पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार ने झंडा रोहण कर इस मेले का शुभारंभ किया तथा क्रांतिकारियों के शिलालेख पर पुष्पांजलि अर्पित की. तिरंगा झंडा फहराकर पुलिस बैंड द्वारा क्रांतिकारी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई.

यहां से निकलने वाले रंगों के ठेले को आलाअधिकारियों ने झंडी दिखाकर रवाना किया. इस मौके पर पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों के साथ-साथ विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता व लोकसभा प्रत्याशी मौजूद रहे. इस दौरान भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी रमेश अवस्थी व इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी आलोक मिश्रा ने एक दूसरे को गुलाल लगाकर होली व गंगा मेला पर्व की बधाई देने के साथ ही जीत की भी बधाई दी. इस दौरान विधायक अमिताभ बाजपेई MLC सलिल बिश्नोई व हटिया होली महोत्सव के संयोजक ज्ञानेंद्र बिश्नोई समेत अन्य लोग मौजूद थे. इस दौरान रज्जन पार्क में लगे मेले का बच्चों ने भरपूर लुफ्त उठाया तथा एक दूसरे के ऊपर रंग डालकर बधाई दी.

छतों से मारे वॉटर बैलून
रतनलाल नगर, गोविंद नगर, बर्रा, गुजैनी, किदवई नगर, जूही, नौबस्ता, अंबेडकर नगर और में घरों की छतों से बच्चे सड़क से निकलने वाले हर व्यक्ति को वॉटर बैलून से अपना निशाना बनाते. कई बार निशाना सटीक लग जाता तो सामने वाला रंगों से सराबोर हो जाता और कई बार निशाना चूक जाने पर बच्चे दुबारा निशाना लगाने की कोशिश करते, मगर व्यक्ति बचकर निकल जाता. रंग पड़ने से अगर कोई चिल्लाकर कुछ कहना चाहता, तो यह बच्चे बुरा न मानो होली है कहकर शोर मचाने लगते. कई जगह युवाओं की टोली ने दौड़ा-दौड़ा कर एक दूसरे को रंगा.

कहा जाता है कि कानपुर की होली देशभर अपनी अलग पहचान रखती है यहां एक दिन की होली नहीं होती है बल्कि होली के दिन से अनुराधा नक्षत्र तक रंगों की बारिश लगातार चलती रहती है. हटिया होली मेला महोत्सव कमेटी के अध्यक्ष व संयोजक ज्ञानेंद्र बिश्नोई बताते हैं कि कानपुर में होली मेला आजादी के दीवानों की याद में मनाया जाता है. वर्ष 1942 में जब आजादी की जंग अपने शबाब पर थी तो यहां के तत्कालीन कलेक्टर ने होली खेलने पर रोक लगा दी थी तथा जो लोग होली खेल रहे थे उनकी गिरफ्तारी कर ली थी.

गिरफ्तारी होने से गुस्साये शहर के लोगों ने इस बात का निर्णय लिया था कि जब तक गिरफ्तार किए गए युवाओं को रिहा नहीं किया जाएगा तब तक लगातार शहर में होली खेली जाएगी.आखिरकार अंग्रेजी सरकार को झुकना पड़ा और रंग खेलने वाले युवाओं को होली के बाद अनुराधा नक्षत्र वाले दिन रिहा करना पड़ा था. जेल से रिहा होने के बाद सभी ने गंगा स्नान किया और फिर पूरे शहर में होली का जो रंग चला तो वह पूरे दिन चला. इसी की याद में आज तक कानपुर में गंगा मेला का महोत्सव मनाया जाता है.

फिर चला पापड़-गुझिया का दौर
होली की तरह गंगा मेला में भी ज्यादातर घरों में  मेहमानों का स्वागत गुझिया और पापड़ से किया गया. बातों की चर्चा का केंद्र भी यही रहा कि किसने किसको और कैसे रंग लगाया. कोई ससुराल की होली के किस्से सुना रहा था, तो कोई दोस्तों संग किए गए धमाल के. सबसे ज्यादा जीजा-साली और देवर-भौजाई की होली के किस्से चटखारे लेकर सुने गए.

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