चले थे जोड़ने, पर साथी ही लगे छोड़ने; महाराष्ट्र में कैसे राहुल गांधी ने कर दी बड़ी गलती

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ABC NEWS: कन्याकुमारी से ‘भारत जोड़ो यात्रा’ लेकर चलने वाले कांग्रेस के पूर्व प्रमुख राहुल गांधी के महाराष्ट्र में विनायक दामोदर सावरकर पर दिए बयान से बवाल मच गया है. महाराष्ट्र में कांग्रेस के सहयोगियों में शामिल उद्धव गुट की शिवसेना ने राहुल गांधी के बयान पर आपत्ति जताई है तो अब संकेत मिले हैं कि राज्य में गठबंधन पर भी असर पड़ सकता है. शिवसेना (उद्धव गुट) सांसद संजय राउत ने कहा है कि ऐसे बयानों से एमवीए (महा विकास अघाड़ी) में दरार पड़ सकती है और राहुल गांधी को इससे बचना चाहिए. वीडी सावरकर पर राहुल गांधी की टिप्पणी से राजनैतिक एक्सपर्ट्स मान रहे हैं कि इससे कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है. यह टिप्पणी ऐसे क्षण आई है, जब वे कथित तौर पर भारत को जोड़ने के लिए कन्याकुमारी से कश्मीर तक एक लंबी यात्रा निकाल रहे हैं. वे देश में व्याप्त कथित नफरत को दूर करके लोगों को आपस में जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन अब लगता है कि बिना बड़ी वजह वीडी सावरकर पर टिप्पणी करके राहुल ने कांग्रेस के लिए बड़ी गलती कर दी है.

सावरकर के खिलाफ एक भी शब्द सुनना पसंद नहीं करती शिवसेना

साल 2019 में जब महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी का गठन हुआ, तो सभी काफी हैरान हो गए. दरअसल, दो विपरीत विचारधारा वाले दल एनसीपी के साथ इस गठबंधन का हिस्सा बने और तकरीबन ढाई सालों तक सरकार चलाई. जहां शिवसेना की विचारधारा घोर हिंदुत्व की रही है और वीडी सावरकर को महान क्रांतिकारी बताती है तो वहीं, कांग्रेस सालों से सावरकर के खिलाफ बयान देती रही है. यह कोई पहला मौका नहीं है, जब राहुल गांधी ने सावरकर द्वारा अंग्रेजों से माफी मांगने का मुद्दा उठाया हो. इस तरह के बयान पहले भी पूर्व कांग्रेस प्रमुख दे चुके हैं. ऐसे में जब शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी ने एक साथ गठबंधन किया तो सवाल खड़े होने लगे कि यह गठबंधन शायद ही लंबे समय तक चले. अब जब महाराष्ट्र की सत्ता से एमवीए बाहर हो चुकी है, तो सावरकर के मुद्दे पर शिवसेना ने खुलकर कांग्रेस का विरोध किया है. 2019 से कांग्रेस के साथ लगभग हर मुद्दे पर खड़ी दिखने वाली शिवसेना सावरकर के मुद्दे पर उसका साथ छोड़ने लगी है. वहीं, एनसीपी भी खुलकर इस मुद्दे पर कांग्रेस का समर्थन नहीं कर रही. मालूम हो कि शिवसेना सावरकर के खिलाफ एक भी शब्द सुनना पसंद नहीं करती है. यहां तक कि शिवसेना लंबे समय से सावरकर को ‘भारत रत्न’ दिए जाने की भी मांग कर रही है.

सावरकर पर दिए गए बयान का यात्रा पर पड़ेगा असर!

पिछले दिनों जब राहुल गांधी की यात्रा महाराष्ट्र में प्रवेश कर रही थी, तब एमवीए के सभी दल एक साथ थे और उम्मीद जता रहे थे कि इससे केंद्र सरकार के खिलाफ माहौल बनने में मदद मिलेगी. इसी के चलते महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं ने उद्धव ठाकरे और एनसीपी के नेताओं से मुलाकात करके यात्रा में आने के लिए न्योता भी दिया. पहले उद्धव ठाकरे के शामिल होने की अटकलें लग रही थीं, लेकिन जब यात्रा महाराष्ट्र पहुंची तो पूर्व मंत्री व उद्धव के बेटे आदित्य ठाकरे उसमें शामिल हुए. आदित्य और राहुल के बीच यात्रा के दौरान अलग कैमिस्ट्री दिखाई दी. राहुल ने आदित्य के कंधे पर हाथ रखा तो लगा कि शायद अब शिवसेना और कांग्रेस के बीच पुरानी अदावत भी दूर होने वाली है. वहीं, राहुल गांधी और आदित्य के गले लगने की तस्वीर ने सभी को अपनी ओर आकर्षित किया. इसके अलावा, एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले भी भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुईं, जिससे विपक्षी एकता का स्पष्ट संदेश गया. इन सबके बीच, वीडी सावरकर का मुद्दा उठने की वजह से उनके ही सहयोगियों ने राहुल गांधी के मुद्दे का विरोध करना शुरू कर दिया और अब गठबंधन भी संकट में पड़ गया. ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पर भी असर पड़ सकता है.

महाराष्ट्र के लिए क्यों इतने अहम हैं सावरकर?

वीडी सावरकर महाराष्ट्र के रहने वाले थे। इस वजह से भी लोग सावरकर को अपना हीरो मानते हैं. वहीं, हिंदुत्व की विचारधारा की वजह से बीजेपी, शिवसेना जैसे दल सालों से सावरकर के पक्ष में ही रहे हैं. मराठी अस्मिता से सावरकर को जोड़कर देखा जाता रहा है. यही वजह है कि महाराष्ट्र के ज्यादातर दल सावरकर के विरोध में नहीं बोलते हैं. शिवसेना जहां खुलकर सावरकर का समर्थन करती है तो एनसीपी और कांग्रेस की महाराष्ट्र यूनिट के नेता ज्यादा टिप्पणी करने से बचते हैं.

गुजरात चुनाव से ठीक पहले विरोध करने के मायने

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ठीक उस दौरान हो रही है, जब हाल ही में हिमाचल प्रदेश में चुनाव हुए हैं और वहीं कुछ ही दिनों में गुजरात में भी मतदान होने वाला है. दोनों ही राज्यों से राहुल गांधी ने अब तक खुद को दूर रखा है. गुजरात इलेक्शन के ठीक पहले सावरकर का विरोध करना कांग्रेस को नुकसान भी पहुंचा सकता है. राजनीतिक एक्सपर्ट्स का मानना है कि यूं तो राहुल गांधी हमेशा से ही सावरकर का विरोध करते रहे हैं, लेकिन अब समय पहले जैसा नहीं है. लंबे समय से सत्ता में होने की वजह से बीजेपी ने बड़ी संख्या में लोगों को जोड़ा है, जोकि सावरकर के समर्थन में खड़े हैं. सिर्फ राजनैतिक दल ही नहीं, बड़ी संख्या में युवा भी सावरकर को हीरो मानते हैं और आजादी की लड़ाई में उनके योगदान के लिए उनकी सराहना करते हैं. ऐसे में चुनावों के दौरान सावरकर पर हमला बोलने की वजह से कांग्रेस को नुकसान भी उठाना पड़ सकता है.

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