सिक्कों से बनें गणपति महाराज, 500 के नोटों से सजाया गया गर्भगृह

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ABC News : ( ट्विंकल यादव )  गणेश चतुर्थी का त्योहार पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाएगा. देशभर में 19 सितंबर को गणेश चतुर्थी के शुभ पर्व की शुरुवात होगी. इस पर्व को लोग धूमधाम से मनाने के लिए तैयार है. अलग-अलग राज्यों में अनोखे प्रकार की गणेश प्रतिमा बनाई जा रही है. मंदिरों में गणेश महोत्सव को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं. बाजार मूर्तियों की बिक्री तेजी बढ़ रही है. गणेश चतुर्थी पर लोग विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर गणेश प्रतिमा को स्थापित करेंगें. जबकि 27 सितंबर को गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन किया जाएगा, इस दौरान बेंगलुरु में गणेश चतुर्थी के उपलक्ष्य पर पुत्तेनहल्ली के सत्यगणपति मंदिर को नोटों और सिक्कों से सजाया गया है. जिसपर 65 लाख रुपये खर्च हुए हैं. यहां 65 लाख रुपये की करेंसी नोटों और सिक्कों से मंदिर को सजाया गया है. श्री सत्य गणपति मंदिर जेपी नगर में स्थित है। यहां हर साल गणेश पूजा उत्सव के दौरान कुछ अनोखा प्रदर्शित होता है. इस मंदिर में 10 20 50 और 500 रुपये से लेकर सैकड़ों सिक्कों का उपयोग हुआ है.

सिक्कों से बनें गणपति महाराज
मामला श्री सत्य साई गणपति मंदिर का है जो बेंगलुरू के जेपी नगर इलाके में स्थित है. इस महंगे और अनोखे सजावट पर मंदिर प्रबंधन का कहना है कि मंदिर की दीवारों और गणेश प्रतिमा के चारों तरफ 65 लाख रुपये के सिक्के लगाए गए हैं.  मंदिर प्रबंधन ने इस बाबत कहा कि इस सजावट में करीब एक करोड़ रुपये से ज्यादा के नेटों का इस्तेमाल किया गया है. भक्तों से चढ़ावे के रूप में मिली इस धनराशि को चढ़ावे के तौर पर सजाने के लिए किया गया है.

नोटों से बना मंदिर का पंडाल
बता दें कि पिछले कुछ सालों से गणेश उत्सव के दौरान मंदिर को सजाने के लिए मंदिर प्रबंध फूल, मकई के दानों और कच्चे केलों जैसी ईको फ्रेंडल वस्तुओं का इस्तेमाल करता आ रहा है. वहीं इस साल गर्भगृह को नोटों से सजाया गया है. गर्भगृह और परिक्रमा मार्ग की छतों से 10, 20, 50, 100, 500 रुपये के नोटों से झूमर और झालर बनाए गए हैं. सिक्कों और 500 तक के नोटों से बनी गणेश प्रतिमा और पंडाल में करीब 1 करोड़ से ज्यादा का खर्च आया है.

बता दें कि गणेश चतुर्थी का त्योहार हिंदू कैलेंडर पंचांग के मुताबिक भाद्रपद माह के दौरान आता है. यह शिव तथा पार्वती के पत्र गणेश के जन्म का पल होता है। इसी दिन गणेश पूजा का आयोजन किया जाता है. गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की मिट्टी और पीओपी से बनी प्रतिमा को लोग अपने घरों तथा मंदिरों में स्थापित करते हैं. वहीं इस त्योहारा का समापन त्योहार के शुरू होने के 11 दिन बाद अनंत चतुर्दशी के दिन होता है. इस दिन भगवान गणेश की प्रतिमा को नदी, नहर या किसी साफ और स्वच्छ जलाशय में विसर्जित किया जाता है.

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