ABC NEWS: सावन माह का प्रारंभ 4 जुलाई मंगलवार से होने वाला है. सावन का पहला संकष्टी चतुर्थी व्रत या सावन का गजानन संकष्टी चतुर्थी व्रत श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाएगा. इस साल सावन की संकष्टी चतुर्थी पर पंचक और भद्रा का साया है. इस व्रत में गणेश पूजन के बाद रात में चंद्रमा की पूजा करके अर्घ्य देते हैं, तभी यह व्रत पूर्ण होता है. कृष्ण पक्ष में चंद्रमा देर से उदित होता है, इसलिए चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए व्रती को अधिक इंतजार करना होगा. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं कि सावन की गजानन संकष्टी चतुर्थी कब है? गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय समय क्या है?
तिथि
पंचांग के अनुसार, सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 6 जुलाई गुरुवार को सुबह 06 बजकर 30 मिनट से शुरू हो रही है और इसका समापन अगले दिन 07 जुलाई शुक्रवार को सुबह 03 बजकर 12 मिनट पर होगा. ऐसे में सावन की गजानन संकष्टी चतुर्थी व्रत 6 जुलाई को रखा जाएगा.
पूजा मुहूर्त
6 जुलाई को गजानन संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश पूजा का मुहूर्त सुबह 05 बजकर 26 मिनट से सुबह 10 बजकर 40 मिनट तक है. इसमें भी सुबह 07 बजकर 11 मिनट से सुबह 10 बजकर 40 मिनट तक का समय बहुत ही शुभ है. आप अपनी सुविधानुसार इन मुहूर्त में गजानन संकष्टी चतुर्थी की पूजा कर सकते हैं.
प्रीति योग में गजानन संकष्टी चतुर्थी, लेकिन पंचक और भद्रा भी
गजानन संकष्टी चतुर्थी पर सुबह से ही प्रीति योग बना है, लेकिन पंचक और भद्रा का भी साया हे. इस दिन प्रीति योग सुबह से लेकर देर रात है. वहीं भद्रा का सुबह 05 बजकर 29 मिनट से सुबह 06 बजकर 30 मिनट तक है, हालांकि इसका वास पाताल लोक में है. चतुर्थी के दिन पंचक दोपहर 01 बजकर 38 मिनट से शुरू हो रहा है और यह अगले दिन सुबह 06 बजकर 29 मिनट तक है.
चंद्र अर्घ्य समय
6 जुलाई को चतुर्थी वाले दिन चंद्रोदय देर से होगा. उस रोज रात में 10 बजकर 12 मिनट पर चंद्रोदय होगा. उस समय आप चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण कर सकते हैं.
चतुर्थी पर गणेश पूजा
संकष्टी चतुर्थी के दिन आप गणेश पूजा के समय गणपति बप्पा को सिंदूर, दूर्वा, मोदक, लाल वस्त्र और पान अर्पित करें. इन 5 वस्तुओं को चढ़ाने से गणेश जी आप पर प्रसन्न होंगे.
महत्व
हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाता है. जो लोग यह व्रत रखकर गणेश जी की पूजा करते हैं, उनके कष्ट दूर होते हैं. जीवन में खुशहाली, सुख, समृद्धि आती है. काम में आने वाले संकट खत्म होते हैं. जीवन में शुभता बढ़ती है.
प्रस्तुति: भूपेंद्र तिवारी