किस्मत हुई मेहरबान, सुबह-शाम स्ट्रीट लाइट खोलने-बंद करने वाला बन गया चेयरमैन

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ABC NEWS: किस्मत यूं भी मेहरबान होती है. कहां, दो वक्त की रोटी और रात को टिकने का आसरा मयस्सर नहीं था. किस्मत मेहरबान हुई तो मुख्तियार अहमद उसी नगर पंचायत के चेयरमैन बन गए, जिसमें सुबह-शाम स्ट्रीट लाइट खोलने और बंद करने का काम करते थे. जिले की नगर पंचायत कटरा के नवनिर्वाचित चेयरमैन मुख्तियार अहमद मसूदी की आपबीती किस्से कहानियां रोचक हैं. किसी को पता भी नहीं था, स्ट्रीट लाइट खोलने बंद करने वाला कर्मचारी चंद दिन बाद नगर पंचायत का चेयरमैन बनेगा.

बेरोजगार थे मुख्तियार तो पत्नी बच्चों को लेकर मायके चली गई पीलीभीत के मूल निवासी मुख्तियार अहमद के मुताबिक पत्नी बेरोजगारी के चलते एक दशक पहले बेटी और बेटे को लेकर मायके चली गई. मुख्तियार से पत्नी और बच्चों ने अब तक कोई मतलब नहीं रखा. मुख्तियार को परिवार से भी सहारा नहीं मिला तो घर छोड़ दिया. खाली जेब, खाली हाथ भटकते मुख्तियार कटरा आ पहुंचे.

जिंदगी से निराश मुख्तियार लेट गए थे रेल पटरी पर कटरा कस्बे में दो वक्त की रोटी के लिए काम और रात को टिकने का आसरा तलाशने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे। निराश होकर एक दिन जिन्दगी खत्म करने के लिए मुख्तियार रेल पटरी पर जाकर लेट गए. संयोग से समय रहते राहगीरों ने मुख्तियार को बचा लिया. जिन लड़कों ने ट्रेन से कटने को बचाया, वहीं मुख्तियार को लेकर पूर्व चेयरमैन समीउश्शान खां की कोठी पर ले गए. पूर्व चेयरमैन ने मुख्तियार को दिलासा देकर कोठी पर रख लिया. तब से लेकर अब तक पूर्व चेयरमैन की कोठी ही मुख्तियार अहमद का ठिकाना है.

आरक्षण बदला तो मुख्तियार को बना दिया प्रत्याशी कटरा नगर पंचायात चेयरमैन सीट 2023 में पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हुई तो पूर्व चेयरमैन समीउश्शान खां ने मुख्तियार अहमद को ही चुनावी मैदान में उतार दिया. किस्मत मेहरबान थी. बीते दिन वह चुनाव जीतकर चेयरमैन बन गए. नगर पंचायत कर्मियों समेत निर्धन और वंचित वर्ग में मुख्तियार अहमद की जीत से खुशी की लहर है. मुख्तियार अहमद भी खुशी से फूले नहीं समा रहे.

2017 में आउटसोर्स कर्मचारी बने मुख्तियार
पूर्व चेयरमैन समीउश्शान खां की पत्नी जमाल फात्मा 2017 में कटरा नगर पंचायत की चेयरमैन बनीं तो मुख्तियार अहमद नगर पंचायत में आउटसोर्स कर्मी के रूप में काम करने लगे. कटरा कस्बे में रोज सुबह शाम स्ट्रीट लाइट खोलते और बंद करते. कोठी में भी छोटे मोटे काम करते और वहीं खाना खाकर सो रहते. पिछले पांच साल से यही उनकी दिनचर्या रही.

ईओ बोले, सोचा न था कि अधीनस्थ बनेगा चेयरमैन
अधिशासी अधिकारी अवनीश गंगवार ने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि कभी सोचा भी नहीं था, मेरे अधीनस्थ आउटसोर्स कर्मी मेरा चेयरमैन होगा. यही लोकतंत्र की खूबी है. नवनिर्वाचित चेयरमैन मुख्तियार ने बताया कि पूर्व चेयरमैन समीउश्शान खां और उनके परिवार ने शरण और सम्मान दिया. उनकी मेहनत और मेहरबानी से चेयरमैन बना हूं. हमेशा उनका व़फादार रहकर गरीबों और कस्बे की भलाई के लिए काम करूंगा.

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