ABC NEWS: कानपुर में नकली नोटरी धड़ल्ले से बिक रही है. प्रशासन को ऐसे इनपुट मिले हैं कि कानपुर कचहरी में बैठे 300 से अधिक वेंडर इस तरह की नोटरी टिकट ना केवल बेच रहे हैं, बल्कि मुहर लगाकर उसका सत्यापन भी कर रहे हैं. इससे हर महीने लाखों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है. मामले का खुलासा होने के बाद जिला प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं. अपर जिलाधिकारी राजेश कुमार के मुताबिक इस धंधे में लगे वेंडरों की पहचान और उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए कमेटी का गठन किया गया है.
यह टिकट भी देखने में बिल्कुल असली नोटरी टिकट की तरह का ही है. इस खुलासे के बाद हरकत में आए जिला प्रशासन ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं.
इसी के साथ प्रशासन ने आम लोगों से अपील की है कि नक्कालों से बचने के लिए ई-स्टांप का विकल्प बेहतर हो सकता है. बता दें कि कानपुर की कचहरी में औसतन 40 हजार नोटरी टिकट की खपत है. अक्सर खबर आती है कि कचहरी में पर्याप्त संख्या में स्टांप उपलब्ध नहीं है. चूंकि यहां बिना स्टांप के कोई काम नहीं हो पाता. इसी के साथ ज्यादातर लोगों को ई-स्टांप के बारे में पता नहीं होता. ऐसे में कुछ लोग यहां आने वाले लोगों की इस मजबूरी का नाजायज लाभ उठाते हुए नकली स्टांप बेचने लगे हैं.
एक दो नहीं, दर्जनों वेंडरों के बस्ते से इस तरह के नकली स्टांप टिकट बेचे जा रहे है. सूचना मिलने पर हरकत में आए प्रशासनिक अधिकारियों ने मामले की जांच कराई तो पता चला कि असली स्टांप का रंगीन फोटोकॉपी कराके उसी स्टांप नंबर के साथ बेचा जा रहा है. इससे हजारों रुपये की कोर्ट फीस की चपत लग रही है.
हालात को देखते हुए राजस्व विभाग ने सभी वेंडर को अलर्ट किया है. चेतावनी दी है कि किसी भी वेंडर के पास नकली टिकट पाए जाने पर उसका लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा. एडीएम फाइनेंस राजेश कुमार के मुताबिक असली और नकली स्टांप की पहचान की जा सकती है. असली स्टांप में अशोक की लॉट का चिन्ह स्पष्ट है, जबकि नकली में नहीं है. असली स्टांप के पीछे गोंद लगा होगा, जबकि नकली में नहीं होगा.