उन्नाव के चर्चित रेप केस के मुख्य आरोपी कुलदीप सेंगर ने बेटी की शादी के लिए मांगी अंतरिम जमानत

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ABC NEWS: उन्नाव रेप केस में दोषी कुलदीप सिंह सेंगर ने दिल्ली हाई कोर्ट से अपनी बेटी की शादी में शामिल होने के लिए अंतरिम जमानत मांगी है. हाई कोर्ट ने गुरुवार को कुलदीप सेंगर की याचिका पर सीबीआई से जवाब मांगा है. जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा ने जांच एजेंसी को निर्देश दिया कि 16 जनवरी या उससे पहले इसको लेकर जवाब दाखिल किया जाए.

बीजेपी से निष्कासित पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर ने बेटी की शादी के लिए अंतरिम जमानत और सजा रद्द करने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की है. इसको लेकर कोर्ट ने सीबीआई से 16 जनवरी से पहले जवाब दायर करने का निर्देश दिया. सीबीआई के वकील ने कोर्ट को बताया कि सेंगर ने एक अन्य मामले में हाई कोर्ट की एक खंडपीठ के समक्ष इसी तरह की याचिका दायर की थी, जिसमें वह 2017 में उत्तर प्रदेश के उन्नाव में नाबालिग लड़की से बलात्कार के लिए आजीवन कारावास की सजा काट रहा है.

खंडपीठ पहले ही याचिका पर सीबीआई को नोटिस जारी कर चुकी है और इसे 16 जनवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर चुकी है. सेंगर की ओर से पेश अधिवक्ता कन्हैया सिंघल ने कहा कि सेंगर की बेटी का सागन समारोह 18 जनवरी को निर्धारित है और शादी आठ फरवरी को तय की गई है. हाई कोर्ट को सूचित किया गया कि सेंगर 18 जनवरी से शुरू हो रहे विवाह समारोह में शामिल होने के लिए दो महीने की अंतरिम जमानत की मांग कर रहे हैं. उन्नाव बलात्कार मामले में ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली सेंगर की अपील पहले से ही उच्च न्यायालय में लंबित है. उन्होंने निचली अदालत के 16 दिसंबर, 2019 के उस फैसले को रद्द करने की मांग की है जिसमें उन्हें बलात्कार के मामले में दोषी ठहराया गया था. सेंगर ने 20 दिसंबर, 2019 के उस आदेश को रद्द करने की भी मांग की है, जिसमें उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. कुलदीप सेंगर को साल 2017 में किशोरी का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म करने का दोषी पाया गया था.

2020 में सेंगर को सुनाई गई थी सजा

निचली अदालत ने 13 मार्च, 2020 को पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में सेंगर को 10 साल सश्रम कारावास और 10 लाख रुपये जुर्माना की सजा सुनाई थी. निचली अदालत ने कहा था कि परिवार के एकमात्र कमाने वाले की हत्या के मामले में कोई नरमी नहीं दिखाई जा सकती. कोर्ट ने सेंगर के भाई अतुल सिंह सेंगर और पांच अन्य को बलात्कार पीड़िता के पिता की हिरासत में हत्या में उनकी भूमिका के लिए 10 साल की जेल की सजा सुनाई थी.

पुलिस हिरासत में हुई थी पीड़िता के पिता की मौत

बलात्कार पीड़िता के पिता को सेंगर के इशारे पर शस्त्र अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था और पुलिस की बर्बरता के कारण 9 अप्रैल, 2018 को हिरासत में उनकी मृत्यु हो गई थी. निचली अदालत ने सेंगर को हत्या का दोषी नहीं ठहराया. कोर्ट ने आईपीसी की धारा 304 के तहत गैर इरादतन हत्या के लिए अधिकतम सजा सुनाई, यह मानते हुए कि हत्या करने का कोई इरादा नहीं था.

सेंगर समेत 5 लोग दोषी ठहराए गए थे

गैर इरादतन हत्या के लिए 10 साल की जेल के अलावा, सेंगर, उनके भाई, माखी पुलिस थाने के तत्कालीन प्रभारी अशोक सिंह भदौरिया और तत्कालीन उप-निरीक्षक केपी सिंह, विनीत मिश्रा, बीरेंद्र सिंह और शशि प्रताप सिंह को अन्य अपराधों के लिए सजा सुनाई गई थी. 1 अगस्त, 2019 को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इस मामले को उत्तर प्रदेश की एक ट्रायल कोर्ट से दिल्ली ट्रांसफर कर दिया गया था.

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