हाथी, सिंह, हनुमान और गरुड़: राम मंदिर के एंट्री गेट का भव्य नजारा, राजस्थानी पत्थरों की लग रहीं मूर्तियां

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ABC NEWS: राम मंदिर निर्माण में पहले चरण का काम लगभग खत्म होने जा रहा है. राम लला की मूर्ति के प्राण-प्रतिष्ठा की घड़ी भी नजदीक है. अयोध्या से लगातार प्राण-प्रतिष्ठा की तैयारी की तस्वीरें आ रही हैं. राम मंदिर में एंट्री से पहले श्रद्धालुओं को हनुमान जी से अनुमति लेनी होगी. राम द्वार पर हनुमान जी का पहरा देखने को मिलेगा. गुरुवार को मंदिर के प्रवेश द्वार पर हनुमान जी, सिंह, हाथी और गणेश जी की मूर्ति लगा दी गई है. ये मूर्तियां बेहद आकर्षक और दर्शनीय हैं.

राम मंदिर ट्रस्ट ने बताया कि ये मूर्तियां राजस्थानी पत्थर से तैयार की गई हैं. इन मूर्तियों को राजस्थान के बंसी पहाड़पुर गांव के हल्के गुलाबी रंग के बलुआ पत्थर से तैयार किया गया है. इन मूर्तियों को मंदिर की ओर जाने वाली सीढ़ियों के दोनों ओर स्लैबों पर लगाया गया है. निचले स्लैब पर हाथी की एक-एक मूर्ति है. उसके बाद शेर की मूर्ति लगाई है. सबसे ऊपर वाले स्लैब पर भगवान हनुमान की मूर्ति एक तरफ है. जबकि ‘गरुड़’ की मूर्ति दूसरी तरफ है.

’32 सीढ़ियां चढ़कर पहुंचेंगे मंदिर के अंदर’
ट्रस्ट ने बताया कि राम मंदिर में पूर्व की दिशा से एंट्री होगी. दक्षिण की दिशा से बाहर निकलेंगे. मंदिर की इमारत तीन मंजिला होगी. मुख्य मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को पूर्वी दिशा से 32 सीढ़ियां चढ़ना होंगी. मंदिर को पारंपरिक नागर शैली में बनाया गया है.

मंदिर परिसर 380 फीट लंबा (पूर्व-पश्चिम दिशा), 250 फीट चौड़ा और 161 फीट ऊंचा होगा. मंदिर की प्रत्येक मंजिल 20 फीट ऊंची होगी. इसमें कुल 392 खंभे (पिलर) और 44 द्वार होंगे. मंदिर का ग्राउंड फ्लोर लगभग तैयार हो चुका है. राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने कुछ तस्वीरें शेयर की हैं.

अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर में क्या-क्या विशेषताएं..
1. मंदिर परंपरागत नागर शैली में बनाया जा रहा है.

2. मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट रहेगी.

3. मंदिर तीन मंजिला रहेगा. प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट रहेगी. मंदिर में कुल 392 खंभे और 44 द्वार होंगे.

4. मुख्य गर्भगृह में प्रभु श्रीराम के बालरूप (श्रीरामलला सरकार का विग्रह) के दर्शन होंगे. फर्स्ट फ्लोर पर श्रीराम दरबार होगा.

5. मंदिर में 5 मंडप होंगे. इनमें नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप श्रद्धालुओं को निहारने के लिए मजबूर करेंगे.

6. खंभों और दीवारों में देवी-देवता और देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी जा रही हैं.

7. मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से होगा.

8. दिव्यांगजन और वृद्धों के लिए मंदिर में रैम्प और लिफ्ट की व्यवस्था रहेगी.

9. मंदिर के चारों ओर आयताकार परकोटा रहेगा. चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर और चौड़ाई 14 फीट होगी.

10. परकोटा के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, गणपति और भगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण होगा. उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा, दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर रहेगा.

11. मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकूप विद्यमान रहेगा.

12. मंदिर परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर- महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी और ऋषिपत्नी देवी अहिल्या को समर्पित होंगे.

13. दक्षिण पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णो‌द्धार किया गया है. वहां जटायु प्रतिमा की स्थापना की गई है.

14. मंदिर में लोहे का प्रयोग नहीं होगा. धरती के ऊपर बिलकुल भी कंक्रीट नहीं है.

15. मंदिर के नीचे 14 मीटर मोटी रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट (RCC) बिछाई गई है. इसे आर्टफिशियल चट्टान का रूप दिया गया है. 16. मंदिर को धरती की नमी से बचाने के लिए 21 फीट ऊंची प्लिंथ ग्रेनाइट से बनाई गई है.

17. मंदिर परिसर में स्वतंत्र रूप से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, अग्निशमन के लिए जल व्यवस्था और स्वतंत्र पावर स्टेशन का निर्माण किया गया है, ताकि बाहरी संसाधनों पर न्यूनतम निर्भरता रहे.

18. 25 हजार क्षमता वाले एक दर्शनार्थी सुविधा केंद्र (Pilgrims Facility Centre) का निर्माण किया जा रहा है, जहां दर्शनार्थियों का सामान रखने के लिए लॉकर और चिकित्सा की सुविधा रहेगी.

19. मंदिर परिसर में स्नानागार, शौचालय, वॉश बेसिन, ओपन टैप्स आदि की सुविधा भी रहेगी. 20. मंदिर का निर्माण पूर्णतया भारतीय परंपरानुसार और स्वदेशी तकनीक से किया जा रहा है. पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. कुल 70 एकड़ क्षेत्र में 70% क्षेत्र सदा हरित रहेगा.

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