UP के 31 जिलों में सूखे के आसार, पूर्वांचल में बूंद-बूंद को तरस रहे लोग

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ABC NEWS: पश्चिम यूपी में जोरदार बारिश और बाढ़ जैसे हालात हैं, नदियां लबालब हैं, सड़कों पर भी पानी ही पानी है लेकिन पूर्वांचल के जिलों में सूखा नजर आ रहा है. प्रकृति की इस मार से पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों के हजारों किसान खासे परेशान हैं. उन्हें सिंचाई में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. फसलें सूखने का खतरा पैदा हो गया है.

सूखे खेतों ने यहां के किसानों की चिंता बढ़ा दी है. पूर्वांचल के जिलों के किसानों को चिंता इस बात की है कि अगर पानी नहीं मिला तो उनकी फसलों का क्या होगा? बारिश नहीं होने से धान और अरहर जैसी फसलों को भारी नुकसान होने की आशंका है. ऐसे में किसान अब सिंचाईं के लिए मदद की गुहार लगा रहे हैं.

31 जिलों में सूखे के आसार

मॉनसून कमजोर पड़ने से पूर्वांचल समेत प्रदेश के करीब 31 जिले बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं. यहां चालीस फीसदी बारिश कम दर्ज की गई है. चंदौली, मिर्जापुर, कुशीनगगर, देवरिया, मऊ, बस्ती ऐसे जिले हैं जहां बारिश पिछले साल के मुकाबले करीब आधी दर्ज की गई है. यहां तक कि श्रावस्ती, सीतापुर, गाजियाबाद में भी बारिश काफी कम रिकॉर्ड की गई.

कौशांबी में किसान परेशान

जिस मौसम में खेतों में पानी लबालब भरा रहता था, उस मौसम में कौशांबी जिले में खेत के खेत सूखे पड़े हैं. कौशांबी के किसानों का कहना है कि ऐन धान की रोपाई के सीजन में बारिश के नहीं होने से उनका भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा है. किसान इस बात से भी परेशान हैं कि एक तो बारिश कम हुई दूसरे उनके पास बिजली से सिंचाई करने की भी उचित व्यवस्था नहीं है.

अमेठी में भी कम बारिश

कौशांबी जैसे ही हालात अमेठी में भी हैं. बारिश कम नहीं होने से यहां के सैकड़ों किसान मायूस हैं. करीब तीन हफ्ते से यहां बारिश नहीं हुई है. किसानों को चिंता है कि ऐसे में धान ही नहीं बल्कि अरहर और उर्दू तीली की खेती भी कैसे होगी. यहां के किसान कहते हैं कि अगर कुछ और दिन बारिश नहीं हुई तो फसलों को सूखने से बचाया नहीं जा सकता.

बलिया का भी बुरा हाल

पूर्वांचल का बलिया ऐसा जिला है जहां बारिश तो दूर हल्की फुहार भी नहीं हुई. लिहाजा किसान चिलचिलाती धूप में अपने अपने-अपने खेतों में काम करने को लाचार हैं. धान के पौधों को लगातार पानी की दरकार होती है लिहाजा फिलहाल नलकूप ही उनका सहारा है. लेकिन यहां के किसान कहते हैं-नलकूप के सहारे कब तक खेती होगी, कहा नहीं जा सकता. किसान आसमान की ओर टकटकी लगाये हैं कि बारिश कब होगी.

जिस मौसम में आमतौर पर नदियों में उफान देखने को मिलती है वहां सोनभद्र की करीब नौ नदियों में कोई हलचल नहीं दिखती. लिहाजा यहां की नदियों से जुड़ी आस-पास के इलाकों की नहरों में भी सूखा पड़ गया है. नहरें सूखने पर आखिर खेती कैसे होगी?

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