कर्ज में डूबा पाकिस्तान बेच रहा अपना अमेरिका स्थित दूतावास, भारत बनेगा खरीदार?

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ABC NEWS: आर्थिक बदहाली से जूझ रहा पाकिस्तान अपनी माली हालत सुधारने के लिए अमेरिका स्थित अपने दूतावास की पुरानी इमारत को बेचने जा रहा है. इसके लिए उसे तीन बोलियां भी मिल हैं. इस इमारत को खरीदने के लिए एक यहूदी ग्रुप ने सबसे बड़ी बोली लगाई है, जो लगभग 68 लाख डॉलर है. यह यहूदी ग्रुप इस इमारत में एक पूजा स्थल का निर्माण करना चाहता है.

राजनयिक सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक, भारत की एक रियल्टी कंपनी ने भी इस दूतावास की इमारत को खरीदने के बोली लगाई है, जो लगभग 50 लाख डॉलर है. वहीं, पाकिस्तानी रियल्टर ने भी लगभग 40 लाख डॉलर की बोली लगाई है.

पाकिस्तान के एक रियल्टर ने पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि हमें परंपरा का पालन करना चाहिए, जिसके तहत सबसे ऊंची बोली लगाने वाले की जीत होती है. इससे अमेरिका जैसे प्रभुत्वशाली समाज में एक अच्छा संदेश भी जाएगा, जो इस इमारत को एक पूजास्थल के तौर पर इस्तेमाल में लाना चाहते हैं.

बता दें कि इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तानी दूतावास के अधिकारियों ने बताया था कि वॉशिंगटन में पाकिस्तान की तीन डिप्लोमैटिक प्रॉपर्टी बेची जा रही हैं.

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का हाल

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बीते कुछ समय से बेहद बुरे दौर से गुजर रही है. देश में महंगाई ऐतिहासिक रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है. देश का विदेशी मुद्रा भंडार भी 6.7 अरब डॉलर तक नीचे लुढ़क गया है. पाकिस्तान की मुद्रा का लगातार डिवैल्यूवेशन (अवमूल्यन) हो रहा है, ऐसे में वह एक डॉलर 224.63 पाकिस्तानी रुपये में खरीद रहा है.

पाकिस्तान का निर्यात भी घट रहा है और ऐसे में देश के पास इतनी पर्याप्त विदेशी मुद्रा नहीं है कि वह आयात के लिए भुगतान कर सके. अफगानिस्तान और ईरान से आयात भी कम हुआ है क्योंकि पाकिस्तान के पास इसके लिए भुगतान करने का पैसा नहीं है.

कर्ज में डूबा पाकिस्तान!

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष पाकिस्तान को इससे पहले भी काफी कर्ज दे चुका है. 2019 में पाकिस्तान ने आईएमएफ से 6 अरब डॉलर का कर्ज लेने का समझौता किया था. यह राशि पाकिस्तान को तीन सालों में किश्तों में दी जानी थी. हालांकि, इसी दौरान पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान के राजनीतिक निर्णय को आईएमएफ के शर्तों का उल्लंघन करार देते हुए संस्था की ओर से कर्ज जारी रखने पर रोक लगा दी गई थी.

दरअसल, इमरान खान ने पेट्रोल-डीजल पर सब्सिडी देने की घोषणा कर दी थी. आईएमएफ ने इसे शर्तों का उल्लंघन माना था. नई सरकार के बनने के बाद शहबाज शरीफ ने आईएमएफ से फिर से बातचीत शुरू की. आईएमएफ कड़ी शर्तों के साथ लोन देने के लिए राजी हुआ था. वर्तमान की 1.2 अरब डॉलर का कर्ज लेने के बाद आईएमएफ का कर्ज बढ़कर 7 अरब डॉलर हो जाएगा.

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