ABC News: गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस से अपने 51 साल पुराने रिश्ते को तोड़ दिया है और अब नई पार्टी बनाने का ऐलान किया है. उनके इस फैसले से कांग्रेस के नेता भड़क गए हैं. इस बीच वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने उनके डीएनए पर ही सवाल उठा दिया है. मीडिया से बात करते हुए जयराम रमेश ने कहा कि गुलाम नबी आजाद का डीएनए मोदीफाइड हो गया है. उन्होंने कहा कि एक ऐसे शख्स को जिसे कांग्रेस की लीडरशिप ने इतना सम्मान दिया, उसने बेहद निजी और घटिया हमले करके विश्वासघात किया है. उन्होंने कहा कि आजाद के इस रवैये से उनका असली कैरेक्टर सामने आ गया है.
A man who has been treated by the greatest respect by the Congress leadership has betrayed it by his vicious personal attacks which reveals his true character. GNA’s DNA has been modi-fied.
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) August 26, 2022
वहीं, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि ग़ुलाम नबी आज़ाद के फ़ैसले और उन्होंने जो बातें कही हैं, उसे लेकर वह सहमत नहीं है. आजाद को कांग्रेस ने सम्मान और पहचान दी. 42 साल से वह बिना पद के नहीं रहे. उनके शब्द अनुचित और समझ से परे हैं.
“ग़ुलाम नबी आज़ाद जी के फ़ैसले और वक्तव्य को पढ़कर मुझे अफ़सोस है। कांग्रेस ने उनको सम्मान और पहचान दी। 42 साल से वह बिना पद के नहीं रहे – उनके शब्द अनुचित हैं, मेरी समझ से परे हैं” : श्री @ashokgehlot51 pic.twitter.com/LFOBTEyx2O
— Congress (@INCIndia) August 26, 2022
कांग्रेस के एक अन्य नेता संदीप दीक्षित ने भी गुलाम नबी आजाद के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि मुझे इसमें विश्वासघात की बू आ रही है. उन्होंने कहा कि पार्टी में रहना जरूरी था. जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस इस वक्त महंगाई और बेरोजगारी के खिलाफ लड़ रही है और ऐसे वक्त में गुलाम नबी आजाद का पार्टी से अलग हो जाना दुर्भाग्यपूर्ण है. जयराम रमेश बोले, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद है कि ऐसे वक्त में यह हुआ है, जब सोनिया गांधी, राहुल गांधी और पूरी कांग्रेस पार्टी भाजपा से मुद्दों पर लड़ रहे हैं. महंगाई, बेरोजगारी और ध्रुवीकरण के खिलाफ मुकाबला कर रहे हैं.’ यही नहीं पवन खेड़ा ने तो गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे को राज्यसभा की सीट से भी जोड़ दिया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने इस बार गुलाम नबी आजाद को राज्यसभा नहीं भेजा. शायद इसी वजह से उनका पार्टी से इस्तीफा आया है. पवन खेड़ा ने कहा कि जब से उनकी राज्यसभा सीट चली गई थी, वह बेचैन हो गए थे. इससे पता चल जाता है कि वह बिना पद के एक सेकेंड के लिए भी नहीं रह सकते.