ABC News: कानपुर में सपा विधायक इरफान सोलंकी के मामले में एक और खेल सामने आया है. एक जमीन पर कब्जेदारी को लेकर दर्ज मुकदमे के बाद भी एक और मुकदमा करा दिया गया. इनमें वादी एक ही है. एक में जमीन पर कब्जा हो जाना दर्शाया गया और दूसरी एफआईआर में जमीन कब्जाने को लेकर धमकी का आरोप है.
इसके चलते कोर्ट से विधायक इरफान सोलंकी, भाई व चाचा समेत अन्य आरोपियों को जमानत भी मिल गई है. ऐसे में पुलिस अधिकारी अब यह जानकारी करने में जुटे हैं कि आखिरकार ऐसा किसे फायदा पहुंचाने के लिए किया गया है. मामले में हुईं गड़बड़ियों की जांच की जा रही है. जाजमऊ थाने में छह दिसंबर 2022 को कंघी मोहाल बेकनगंज निवासी मोहम्मद नसीम आरिफ ने सपा विधायक इरफान सोलंकी, उनके भाई रिजवान सोलंकी, इश्तियाक सोलंकी, आसिफ दलाल, शब्बर हुसैन, अब्दुल मोईद और 16 अज्ञात के खिलाफ बलवा, मारपीट आदि धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. रिपोर्ट में कहा गया कि विधायक व अन्य आरोपियों ने 200 वर्ग गज पर अवैध कब्जा कर लिया है. इस दौरान अशोक कुमार दुबे जाजमऊ थाने में इंस्पेक्टर थे. इसके बाद मोहम्मद नसीम आरिफ ने नौ मई 2023 को जाजमऊ थाने में फिर से एक एफआईआर दर्ज कराई. इसमें उन्होंने आदिल रशीद, शकील बेग, शब्बर हुसैन का भाई और इश्तियाक सोलंकी को नामजद किया. इसमें पुलिस ने तहरीर के आधार पर मृत्यु का भय दिखाकर जबरन वसूली करना और जान से मारने की धमकी देने की धारा में रिपोर्ट दर्ज की. इस दौरान इंस्पेक्टर रामबाबू सिंह थे. जाजमऊ पुलिस द्वारा एक ही मामले में दो एफआईआर दर्ज करने का फायदा आरोपियों को मिल गया. सत्र न्यायाधीश की अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए सपा विधायक के चाचा इश्तियाक सोलंकी को जमानत और आरोपी मंजर हुसैन को अग्रिम जमानत दे दी. आदेश में कोर्ट ने कहा कि सन 2022 और 2023 में दर्ज एफआईआर में वादी और गवाह एक समान है. विवादित मामले में कमोबेश संपत्ति भी एक समान है. इतना ही नहीं विधायक और उनके भाई रिजवान को भी सन 2022 में दर्ज कराई गई रिपोर्ट में जमानत मिल चुकी है.